स्लाइडर

सावधान: आपके चेक की भी हो सकती है क्लोनिंग, मिनटों में खाते से गायब जाएगी रकम

जब भी कोई व्यक्ति बैंक में खाता खोलता है, तो उसे खाता खोलने के बाद मिलने वाली किट में चेक बुक मिलती है। कई लोग आज भी ऑनलाइन बैंकिंग के बजाए चेक से भुगतान करना सुरक्षित मानते हैं। हालांकि अब चेक से किसी तरह का भुगतान करना या फिर लेना भी सुरक्षित नहीं रहा है। हैकर्स अब इसकी भी क्लोनिंग करने लगे हैं। इसका पता बैंक को भी नहीं चलता है कि भुगतान के लिए जो चेक दिया गया है, वो सही है या नहीं। चेक की क्लोनिंग न हो इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। एम्स के निदेशक और डीन के खाते से 12 करोड़ रुपये निकलने के बाद यह जानना आपके लिए जरूरी हो गया है कि कैसे इससे बचा जाए।




क्या है चेक क्लोनिंग
चेक की क्लोनिंग बिना बैंक कर्मचारियों की मदद से नहीं हो सकती है। बैंक के कर्मचारी ही ऐसा फ्रॉड करने वाले लोगों को खाताधारकों का सिग्नेचर और ब्लैंक चेक देते हैं। इस जानकारी के मिलने के बाद फ्रॉड करने के बाद बैंक में खाताधारक का फोन नंबर बदलने के लिए आवेदन करते हैं। इससे खाताधारकों को किसी भी तरह का ट्रांजेक्शन करने पर मैसेज नहीं मिलता है।
इन खातों की हो सकती है चेक क्लोनिंग
अगर आपके खाते में लाखों-करोड़ों रुपये पड़े हुए हैं, तो फिर चेक की क्लोनिंग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। चेक पर बैंक खाता संख्या, शाखा और व्यक्ति का नाम होता है। फ्रॉड करने वाला व्यक्ति चेक को स्कैन करके उसका क्लोन बना देता है और खाते से पैसा निकाल देता है।


WP-GROUP

चेक क्लोनिंग से कैसे बचें
इन तरीकों का इस्तेमाल करते हुए आप आसानी से चेक क्लोनिंग का शिकार होने से बच सकते हैं।
सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और ईमेल पर चेक की फोटो को पोस्ट न करें।
किसी भी व्यक्ति को फोन पर अपने निजी बैंक खाते की जानकारी न दें।
इस जानकारी में चेक नंबर, कार्ड डिटेल्स, ओटीपी और पासवर्ड तक शामिल हैं।
अपने फोन नंबर, ई-मेल आईडी को चेक करते रहें, जिससे ट्रांजेक्शन होने पर आपको जानकारी मिलती रहे।



एम्स के निदेशक, डीन को ऐसे हुआ नुकसान
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के दो बैंक खातों से क्लोन चेक के जरिए 12 करोड़ रुपये पार करने का मामला सामने आया है। जालसाजों ने करीब एक माह पहले दूसरे शहरों में स्थित एसबीआई की शाखाओं से इस घटना को अंजाम दिया। इसके बाद पिछले सप्ताह मुंबई और देहरादून की दो शाखाओं से करीब 29 करोड़ रुपये निकालने का प्रयास भी किया, हालांकि वे इसमें कामयाब नहीं हो सके। जिन दो खातों से एम्स को 12 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई है, उनमें से एक खाता निदेशक और दूसरा डीन के नाम पर है। निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया के नाम वाले मुख्य खाते से सात और डीन के खाते से पांच करोड़ रुपये निकाल लिए गए।
इस जांच को पार गए थे चेक
हालांकि गंभीर बात है कि जाली चेक अल्ट्रा वॉयलेट रे (पराबैंगनी किरणों) जांच को पार कर गए और उसी चेक संख्या के मूल चेक अब भी एम्स के पास हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक तीन करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी होती है तो बैंक सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एसबीआई ने मौजूदा मामले में सीबीआई से संपर्क किया है नहीं।

यह भी देखें : 

रिलायंस जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल के ग्राहक जरूर पढ़ें ये खबर…फिर ना कहना- पहले क्यूं नहीं बताया…क्योंकि एक दिसंबर से…

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/gaganmittal/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471