रायपुर। खिलाडिय़ों का न कोई मजहब है ना कोई राजनैतिक पार्टी, उन्हें सिर्फ अपने खेल से मतलब है, खिलाड़ी दिन में 8-10 घंटे मैदान पर कड़ी मेहनत कर अपने खून पसीने से प्रदेश के लिए मैडल लाता है, जिसे खेल संघों में काबिज भाजपा नेता सिर्फ धातु मात्र का एक टुकड़ा समझते है, ये लोग उनका सम्मान करना तो दूर उनके साथ कुटिल राजनैतिक षड्यंत्र कर उनका खेल कैरियर चौपट करने से भी बाज नही आते, तकलीफ उस समय ज्यादा होती है जब खेल संघ के अन्य पदाधिकारी भी इन लोगों का साथ देते हैं।
उक्त बाते छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल के प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण जैन ने पत्रकारवार्त के दौरान कहा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, अन्य खेलों में पूर्व कैबिनेट के इनके मंत्री व भाजपा नेता अंगद के पैर की तरह जमें बैठे हैं, इन्हें खिलाडिय़ों के विकास की कोई चिंता नही 15 वर्ष के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने खिलाडिय़ों के लिए कुछ नही किया।
प्रदेश में खेल विकास प्राधिकरण नही बना सके, ना खेल विश्वविद्यालय खोल पाये, ना ही नियमित व्यायाम शिक्षकों की भर्ती की, ना ही खेल प्रशिक्षकों व अधिकारियों के रिक्त पद भर सके, प्रदेश में एक भी खेल एकेडमी भी नही खुली, ना कभी खिलाडिय़ों के स्पोर्ट्स इंज्यूरी के लिए कोई मेडिकल कैम्प लगाया न ही खेल विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की, कभी भी मेडलिस्ट खिलाडिय़ों का सम्मान नही कर सके और ना ही कभी खेलसंघ और खिलाडिय़ों के लिए कोई सम्मेलन या सेमिनार लगाया, यदि इन भाजपा पदाधिकारियों ने खिलाडिय़ों के लिए कुछ किया है तो सिर्फ और सिर्फ इनके हक और अधिकारों में जमकर भ्रष्टाचार किया, खिलाडिय़ों के निवाले का पैसा, इनके ट्रेक शूट और खेल सामग्रियों की खरीदी खेल मैदानों के निर्माण में जमकर डकैती की, सरकार बदल जाने के बाद भी अपनी ओछी राजनीति से बाज नही आ रहे हैं, इन लोगों की करतूतों के किस्से रोजाना खिलाड़ी हमें सुनाते हैं, खेल संघ के पदाधिकारी इन भाजपा नेताओं के इशारे पर काम करते हैं और प्रदेश के होनहार राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर के खिलाडिय़ों के प्रति दुर्भावनावश उन्हें टीम में खेलने का अवसर नही देते है, लेकिन खिलाड़ी इस वजह से चुप रह जाते है क्योंकि खेलसंघ के मठाधीश इनका कैरियर चौपट कर देने की धमकियां देते हैं, लेकिन अब पानी सर से ऊपर आ चुका है और सब्र का बांध टूट गया है और खिलाडिय़ों ने खेलसंघों में व्याप्त कुव्यवस्था के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है।
प्रदेश के कई जिलों के काफी खिलाडिय़ों ने लिखित में शिकायतें भेजी है, जिसमें रायगढ़ के ताइक्वांडो खिलाडिय़ों ने हस्ताक्षर युक्त पत्र लिख कर बतलाया है कि ताइक्वांडो संघ के अध्यक्ष धरमलाल कौशिक नेता प्रतिपक्ष द्वारा अपने राजनैतिक कद का फायदा उठाकर कुछ खिलाडिय़ों को राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाने से रोक दिया है, इतना ही नही इन राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाडिय़ों को फेडरेशन से निष्कासित कर इनका कैरियर चौपट कर दिया, जिसकी वजह सिर्फ इतनी सी थी कि इन खिलाडिय़ों का सम्मान इनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की वजह से प्रदेश कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल ने खेल दिवस पर किया गया था।
खिलाडिय़ों को निकाले जाने की वजह बतलाई गई है कि ये लोग कांग्रेस के कार्यक्रम में शामिल हुए। ताईक्वांडो संघ द्वारा इसी तरह सरगुजा संभाग के आदिवासी खिलाडिय़ों के साथ 4 से 7 जुलाई के दरम्यान रांची में आयोजित बिरसा मुंडा राष्ट्रीय ताईक्वांडो प्रतियोगिता में खेलने गए 14 खिलाडिय़ों को सिर्फ इस लिए डिस्क्वालिफाई कर दिया गया क्योंकि प्रतियोगिता में रखी गई फीस 2200 की जगह संघ के पदाधिकारी द्वारा खिलाडिय़ों से 2700 वसूले जा रहे थे, हद तो तब हो गई जब एक खिलाड़ी दीप कुजूर जो कई राज्यों को हराकर फाइनल पहुंचा था उसे भी फाइनल नही खेलने नही दिया गया और डिस्क्वालिफाई कर दिया गया, खिलाड़ी जब इस बात की शिकायत करना चाह रहे थे तो ताईक्वांडो प्रदेश महासचिव ने धरम लाल कौशिक का डर दिखा कर खिलाडिय़ों से गाली गलौच कर ब्लैकलिस्टेड करने और खेल करियर चौपट कर देने की धमकी देने लगा।
इसी तरह कोरिया जिले के फुटबॉल खिलाड़ी जो राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में खेलने 5 से 12 नवम्बर तक कोरबा जाने वाले थे किंतु कोरिया फुटबॉल संघ के सचिव ने डिफेंडिंग चैंपियन कोरिया के खिलाडिय़ों को टूर्नामेंट में भाग नही लेने दिया गया, जानकारी के अनुसार कोरिया फुटबॉल सचिव कई वर्षों से कलकत्ता शिफ्ट हो गए हैं और मोबाइल से फुटबॉल संघ चला रहे है, प्रदेश में फुटबॉल संघ में अजय चंद्राकर का कब्जा है और इनकी निगरानी में सब काला पीला सही है।
यदि रायगढ़ सहित प्रदेश के अन्य खिलाडिय़ों के साथ खेलसंघ मैं बैठे लोग न्याय नही करते है तो ओलंपिक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष रमनसिंह और ताईक्वांडो संघ के अध्यक्ष नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक सहित अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस स्पोर्ट्स सेल आंदोलन करने के लिए विवश होगी, जिसकी समस्त जबावदेही खेलसंघों के जिम्मेदार पदाधिकारियों की होगी।
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