रायपुर। प्रदेश में जारी शैक्षणिक सत्र में परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों से पूर्व निर्धारित परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त कोई नया शुल्क नहीं लिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव वी.के. गोयल ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग के वर्ष 2015 के आदेशानुसार छात्रों से परीक्षा शुल्क का प्रावधान पूर्व से ही लागू है। इसी प्रावधान के अनुसार ही विद्यालयों में शुल्क लिया जाता है। इसके अतिरिक्त कोई नया शुल्क नहीं लिया जाएगा।
प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2019-20 में कक्षा नवमीं से 12वीं तक अर्द्धवार्षिक परीक्षा और कक्षा 9वीं एवं 11वीं की वार्षिक परीक्षा का आयोजन छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से किए जाने के संबंध में आदेश प्रसारित किया गया है। प्रदेश में कक्षा 9वीं से 12वीं तक की शासकीय शालाओं में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या 11 लाख 29 हजार 504 है।
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव ने बताया कि निर्धारित शुल्क में से ही परीक्षाओं का संचालन शैक्षणिक गुणवत्ता के आंकलन के लिए राज्य स्तर से किया जा रहा है।
इसके लिए प्रश्न पत्र माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा शालाओं को प्रदान किए जाएंगे। इस आदेश में अलग-अलग कक्षा के लिए शुल्क निर्धारित किए गए है।
कक्षा 9वीं और 11वीं के लिए अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षा दोनों के प्रश्न पत्र प्रदान किए जाएंगे, जबकि कक्षा 10वीं और 12वीं में केवल अर्द्धवार्षिक परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र प्रदान किए जाएंगे। इन परीक्षाओं के लिए दर्ज संख्या के मान से निर्धारित दर अनुसार परीक्षा शुल्क लिए जाने पर माध्यमिक शिक्षा मंडल को संपूर्ण परीक्षा के लिए लगभग 7 करोड़ 97 लाख 28 हजार 510 रूपए की राशि प्राप्त होने का अनुमान है। कक्षा 9वीं में दर्ज संख्या 4 लाख 4 हजार 292 के आधार पर प्रति छात्र शुल्क 80 रूपए की दर से कुल 3 करोड़ 23 लाख 43 हजार 360 रूपए, कक्षा 10वीं में दर्ज संख्या 2 लाख 97 हजार 849 के आधार पर प्रति छात्र शुल्क 50 रूपए की दर से कुल एक करोड़ 48 लाख 92 हजार 450 रूपए, कक्षा 11वीं में दर्ज संख्या 2 लाख 22 हजार 491 के आधार पर प्रति छात्र शुल्क 100 रूपए की दर से कुल 2 करोड़ 22 लाख 49 हजार 100 रूपए और कक्षा 12वीं में दर्ज संख्या 2 लाख 4 हजार 872 के आधार पर प्रति छात्र शुल्क 50 रूपए की दर से कुल एक करोड़ 2 लाख 43 हजार 600 रूपए की राशि प्राप्त होने का अनुमान है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव ने बताया कि विगत सत्र में कक्षा पहलीं से आठवीं तक की शासकीय शालाओं में अध्ययनरत सभी विद्यार्थियों का मूल्यांकन राज्य स्तर से एस.एल.ए. के माध्यम से किया गया था। इस मूल्यांकन प्रणाली को मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा भी सराहा गया था।
इस प्रणाली के माध्मय से प्रत्येक विद्यार्थी की विषयवार दक्षताओं का आंकलन किया गया है। इसी प्रकार कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए राज्य स्तर से परीक्षा लिए जाने का निर्णय लिया गया है, ताकि सभी विद्यार्थियों को एक ही प्रकार का प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया जा सके और बोर्ड परीक्षा के पैटर्न से भिज्ञ कराया जा सके।
इस व्यवस्था से विद्यार्थियों की शिक्षा गुणवत्ता में उन्नयन होगा और छात्रों के स्तर का सही आंकलन विद्यालय द्वारा किया जाकर कमजोर बच्चों के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर अध्ययन-अध्यापन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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