छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में हो संविलियन का अपना मॉडल: धर्मेश शर्मा

सभी संगठन केवल और केवल संविलियन पर करें ध्यान केन्द्रीत: जितेन्द्र शर्मा

रायपुर। शालेय शिक्षाकर्मी संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने संविलियन के विषय मे चर्चा करते हुए जानकारी दी कि राज्य में कार्यरत एक लाख 80 हजार शिक्षाकर्मियों की 20 वर्ष पुरानी मांग संविलियन के लिए अनुकूल अवसर आ गया है, इस अनुकूल अवसर पर इधर-उधर की बात करने के बजाय एक मई को उच्चस्तरीय बैठक में शिक्षाकर्मियों के सम्पूर्ण संविलियन का मार्ग प्रशस्त होना चाहिए तथा यह बैठक अंतिम बैठक हो इसका ध्यान सभी संगठनों सहित सरकार को भी रखना चाहिए। राज्य में 1994 ,95 से लागू दोहरी व भेदभावपूर्ण व्यवस्था का अंत हो सके तथा राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कार्यरत लोगों की सेवा श्रेणी, स्तर वेतनमान, पदोन्नति ,क्रमोन्नति स्थानांतरण, अनुकंपा, सेवानिवृत्ति लाभ, प्रशिक्षण आदि सभी मामलों में एकरूपता स्थापित हो जिससे हमारी समस्त समस्याओं का समग्र एवं स्थाई समाधान होगा तथा राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा, इसका लाभ राज्य तथा समाज के सभी लोगों को मिलेगा।
धर्मेश शर्मा ने कहा कि शिक्षाकर्मियों के सम्पूर्ण संविलियन के लिए किसी अन्य राज्य के मॉडल का अंधानुकरण करने के बजाए हमारे राज्य के शिक्षाकर्मियों के संपूर्ण संविलियन के परिपेक्ष्य में उनका गुण-दोष के आधार पर समीक्षा अवश्य की जानी चाहिए और किसी अन्य राज्य के मॉडल के ऊपर आश्रित होकर संपूर्ण संविलियन के मार्ग में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो राज्य में संपूर्ण संविलियन के लिए छत्तीसगढ़ का अपना स्वयं मॉडल होना चाहिए। राज्य की वित्तीय स्थिति भी इस के अनुरूप है मध्यप्रदेश में निश्चित रूप से संविलियन की घोषणा हुई है किंतु अब तक संविलियन की नीति तथा प्रक्रिया का कोई भी मसौदा सामने नहीं आया है राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था दो भागों में विभाजित है प्रारंभिक शिक्षा (कक्षा पहली से आठवीं) तथा माध्यमिक शिक्षा ( नवमी से बारहवीं) प्रारंभिक शिक्षा एक से आठवीं का संपूर्ण दायित्व और नियंत्रण प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय के अधीन है तथा कर्मचारी जिला परिषद (जिला पंचायत) के हैं, जबकि माध्यमिक शिक्षा 9 वीं से 12वीं स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन है जिसके अंतर्गत शासकीय कर्मचारी कार्यरत है। अर्थात राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में कार्यरत कुल कर्मचारियों में से लगभग 70 फीसदी कर्मचारी जिला परिषद (पंचायत) में जबकि 30 प्रतिशत कर्मचारी शासकीय (शिक्षा विभाग) में है ।


यद्यपि 70 फीसदी जिला परिषद के शिक्षकों की सेवाशर्तें तथा वेतनमान बेहतर है। प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत कार्यरत स्नातक तथा बीएड प्रशिक्षित कर्मचारियों को पदोन्नति मिलने पर माध्यमिक शाला 9 वीं से 10 वीं के शिक्षक के रूप में शिक्षा विभाग में जाकर शासकीय कर्मचारी बनने का सीमित अवसर हैं किंतु प्रारंभिक शिक्षा (एक से पांच) के गैर स्नातक तथा गैर बीएड शिक्षकों के शासकीय कर्मचारी के रूप में संविलियन का कोई विकल्प नहीं है। इसलिए शिक्षाकर्मियों को किसी गलतफहमी या अंधानुकरण के कारण कोई भी वर्ग या शिक्षाकर्मी संविलियन से वंचित ना हो। शिक्षक पंचायत ननि मोर्चा के प्रांतीय उप-संचालक जितेन्द्र शर्मा ने समस्त संगठनों से अपील की है कि केवल और केवल सम्पूर्ण संविलियन के लिए पूरा जोर लगाते हुए संविलियन का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए तथा राज्य के 1.80 लाख शिक्षाकर्मी साथी सम्पूर्ण संविलियन के लिए वातावरण

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