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हड़ताल पर अड़े बैंक कर्मचारी… हो सकती है ग्राहकों को परेशानी…क्योंकि इसी हफ्ते से शुरू हो जाएगी दीवाली की हलचल…

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) और भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघ (बीईएफआई) ने शनिवार को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को सूचित किया कि 22 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित बैंक कर्मचारियों की हड़ताल पर पुनर्विचार करना संभव नहीं है।

एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम और बीईएफआई के महासचिव देबाशिष बासु ने आईबीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी जी कन्नन को इस संबंध में संयुक्त रूप से लिखे एक पत्र में कहा है कि उपभोक्ता सेवाओं को लेकर आईबीए की चिंताओं और हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की वे सराहना करते हैं लेकिन जब केन्द्र सरकार उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही है ऐसे में हड़ताल पर नहीं जाने की अपील पर पुनर्विचार करना संभव नहीं है।



उन्होंने लिखा है कि 15 अक्टूबर का आईबीए का खत मिला है जो बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर गत 19 सितंबर को दिये गये नोटिस के प्रति उत्तर के रूप में आया है। उन्होंने कहा कि आईबीए द्वारा हड़ताल के नोटिस को संज्ञान में लेने की वे सराहना करते हैं लेकिन पहले जिस तरह से आईबीए उनके हड़ताल की नोटिस पर गौर नहीं करता था इस बार उसी तरह से वे आईबीए की अपील की अनेदखी कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय को रोकने, बैंकिंग सुधार स्थगित करने, जोखिम में फंसे ऋण की वसूली सुनिश्चित करने, जान बूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने, ग्राहकों को दंडित नहीं करने, सेवा शुल्कों में बढोतरी नहीं करने, जमा पर ब्याज दरों में बढोतरी करने , रोजगार की सुरक्षा और सभी बैंकों में पर्याप्त भर्ती सुनिश्चित करने की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने का नोटिस दिया गया है।

दोनों श्रमिक नेताओं ने कहा कि हड़ताल के कारण ग्राहक सेवाओं के प्रभावित होने की चिंता उनको भी है और इसी को ध्यान में रखते हुये एक महीने से अधिक समय पहले हड़ताल का नोटिस दिया गया लेकिन उनके द्वारा उठाये गये मुद्दों पर वित्त मंत्रालय कोई समाधान करने के मूड में नहीं दिख रहा है। उन्होंने कहा कि जितने मुद्दे उठाये गये हैं वे सभी ग्राहक सेवाओं से जुड़े हुए हैं।

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