आखिरकार रनमशीन विराट कोहली के बल्ले से साल 2019 का पहला टेस्ट शतक आ ही गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दिसंबर 2018 में पर्थ के मैदान पर अपना आखिरी शतक जमाने वाले कोहली ने 10 पारियों के बाद दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जारी पुणे टेस्ट के दूसरे दिन शतकों का सूखा खत्म किया। यह विराट के करियर का 26वां सैकड़ा था, इस सेंचुरी के साथ ही उन्होंने हमेशा की तरह एक के बाद एक कई रिकॉर्ड्स भी तोड़ दिए।
सबसे तेज 26 शतक जमाने वाले चौथे खिलाड़ी
दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज फिलेंडर की गेंद पर बेहतरीन स्ट्रेट ड्राइव से चौका जमाते ही विराट टेस्ट में 26 शतक जड़ने वाले दुनिया के 21वें और भारत के चौथे खिलाड़ी बन गए हैं। चीकू से पहले सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सुनील गावस्कर ही यह कारनामा कर चुके हैं।
सबसे तेज 26 शतक (पारी)
- 69 – डॉन ब्रैडमैन
- 121 – स्टीव स्मिथ
- 136 – सचिन तेंदुलकर
- 138 – विराट कोहली*
- 144 – सुनील गावस्कर
रिकी पोंटिंग के रिकॉर्ड की बराबरी
कोहली ने कप्तान के तौर पर टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने के मामले में रिकी पोंटिंग के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। अब कप्तान के रूप में टेस्ट क्रिकेट में रिकी पोंटिंग और कोहली के नाम 19-19 शतक है। इस लिस्ट में सबसे आगे ग्रीम स्मिथ हैं, जिन्होंने कप्तान के रूप में टेस्ट क्रिकेट में 25 शतक लगाए हैं।
सचिन-धोनी को छोड़ा पीछे
इससे पहले कोहली ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय टेस्ट कप्तान बनने का गौरव हासिल किया। कोहली ने सचिन तेंदुलकर और एमएस धोनी को पीछे छोड़ते हुए ये रिकॉर्ड अपने नाम किया।
कोहली साउथ अफ्रीका के खिलाफ बतौर कप्तान 600 से ज्यादा रन बना चुके हैं। इससे पहले यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम था, जिन्होंने 553 रन बनाए थे। इस लिस्ट में धोनी तीसरे नंबर पर हैं, जिन्होंने 461 रन बनाए थे।
अलग-अलग वेन्यू पर शतक का बनाया रिकॉर्ड
कोहली ने इस मैच में 173 गेंदों में शतक पूरा किया और भारत के 11 अलग-अलग मैदानों पर शतक बनाने वाले खिलाड़ी बन गए। इससे पहले यह रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम था, जिन्होंने 10 मैदानों पर शतक जमाया था। इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ हैं, जिन्होंने भारत के 9 ग्राउंड्स पर टेस्ट क्रिकेट में शतक जड़ा है।
ब्रैडमैन को पीछे छोड़ा
विराट कोहली ने बतौर कप्तान टेस्ट क्रिकेट में 9वीं बार 150 का आंकड़ा पार किया। ब्रैडमैन ने 8 बार कप्तान के रूप में 150+ का आंकड़ा पार किया था। इसके साथ ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में कुल रन (6996) को पीछे छोड़ा। ब्रायन लारा, महेला जयवर्धने, ग्रीम स्मिथ और माइकल क्लार्क ने 7 बार ऐसा किया है।
रन | बनाम | मैदान | सीजन |
254* | साउथ अफ्रीका | पुणे | 2019/20 |
243 | श्रीलंका | नई दिल्ली | 2017/18 |
235 | इंग्लैंड | मुंबई (वानखेड़े स्टेडियम) | 2016/17 |
213 | श्रीलंका | नागपुर | 2017/18 |
211 | न्यू जीलैंड | इंदौर | 2016/17 |
204 | बांग्लादेश | हैदराबाद | 2016/17 |
200 | वेस्ट इंडीज | नॉर्थ साउंड | 2016 |
सचिन-सहवाग से निकले आगे
कोहली ने अपने 81वें टेस्ट मैच की 138वीं पारी में यह मुकाम हासिल किया। इससे पहले सचिन तेंडुलकर 200 टेस्ट मैचों की 329 पारियों और वीरेंदर सहवाग ने 104 टेस्ट मैचों की 180 पारियों में 6-6 दोहरे शतक लगाए हैं।
इंजमाम उल हक को छोड़ा पीछे
विराट कोहली ने टेस्ट करियर का 26वां शतक लगाने के साथ ही पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक को पीछे छोड़ दिया। इंजमाम उल हक ने 120 टेस्ट मैचों में 25 शतक जमाया था।
सबसे ज्यादा रन बनाने वाले 7वें खिलाड़ी
इस मैच में विराट कोहली भारत की ओर से टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में 7वें खिलाड़ी बन गए। कोहली ने पूर्व खिलाड़ी दिलीप वेंगसरकर को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने भारत की ओर से खेले 116 मैचों में 6868 रन बनाए थे।
टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में सचिन तेंदुलकर नंबर एक पर हैं, जिन्होंने 15921 रन बनाए हैं। इस लिस्ट में सचिन के बाद द्रविड़ (13265), गावस्कर (10122), लक्ष्मण (8781), सहवाग (8503) और गांगुली (7212) हैं। कोहली अब टेस्ट इतिहास में सर्वाधिक रन बनाने वाले 53वें खिलाड़ी हो चुके हैं।
सबसे तेजी से 1000 टेस्ट रन
विराट कोहली सबसे कम पारियों में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 1000 टेस्ट रन पूरे करने वाले भारतीय बल्लेबाज बन गए। कोहली ने अपनी 19वीं पारी में यह मुकाम हासिल किया।
उन्होंने वीरेंदर सहवाग के रेकॉर्ड को तोड़ा जिन्होंने 20 पारियों में साउथ अफ्रीका के खिलाफ 1000 रन पूरे किए थे। सचिन तेंडुलकर ने 29 और राहुल द्रविड़ ने 30 पारियों में 1000 टेस्ट रन पूरे किए थे।
जब मिला कोहली को जीवनदान
विराट कोहली ने अपने दोहरे शतक में कोई छक्का नहीं लगाया था। इसके बाद उन्होंने इस पारी का पहला छक्का लगाया। कोहली जब 208 के स्कोर पर थे तब उन्हें जीवनदान मिला था। मुथुसामी की गेंद पर उनका कैच लपका गया लेकिन वह नो-बॉल थी।
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