महासमुंद। पटेवा के ग्राम भावा स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में शिक्षकों की मांग को लेकर विद्यार्थी, पालक व ग्रामीणों ने मुख्य द्वार में ताला जड़ दिया। इसके बाद ग्रामीण मैदान पर बैठकर जमकर शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए।
इसकी जानकारी लगते ही शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में अधिकारी गांव पहुंचे। अधिकारियों ने तत्काल शिक्षक की व्यवस्था की इसके बाद पालक शांत हुए।जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर ग्राम भावा स्थित प्राथमिक शाला इन दिनों शिक्षक की कमी से जूझ रहा है। इस स्कूल की दर्ज संख्या 53 है।
महीनेभर से इन विद्यार्थियों को एक ही शिक्षक पढ़ा रहा है। स्कूल में शिक्षक नहीं होने से विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसके चलते पालक व ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस समस्या को लेकर ग्रामीण व पालकों शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात कर शिक्षक व्यवस्था की मांग की थी।
जिस पर ग्राम सिनोधा स्कूल में पदस्थ एक शिक्षिका का वहां स्थानांतरण किया गया था, लेकिन वह शिक्षिका ने भी स्कूल में ज्वाईनिंग नहीं की। इसकी वजह से पढ़ाई ठप हो रही थी। इसके बाद फिर से पालक व ग्रामीणों ने शिक्षा अधिकािरयों से शिक्षक की मांग की थी, लेकिन व्यवस्था नहीं कर पाए। इससे पालक व ग्रामीण आक्रोशित होकर स्कूल के मुख्य द्वारा पर ताला बंदी कर विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीण सुबह आठ बजे से स्कूल के सामने पहुंच गए थे। जहां जमकर नारेबाजी की। इस दौरान गांव के मोहन चौहान, कातूराम ध्रुव, कातूराम साहू, द्वारिका पटेल, शिवशंकर ध्रुव, परमिला साहू, सुखबाई, नूतन यादव, कविता ध्रुव सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।पर्याप्त शिक्षक नहीं होने के बावजूद कर दिया स्थानांतरण ग्रामीणों का आरोप है कि शासन ने स्थानांतरण में अपने ही बनाई नीति का ध्यान नहीं रखा है।
स्कूल में पदस्थ शिक्षिका सत्तारूढ़ दल के एक नेता की करीबी रिश्तेदार थी, जिसका बेलसोंडा स्कूल में स्थानांतरण कर दिया गया। इसके बाद स्कूल में व्यवस्था चरमरा गई। पूरे बच्चों की जिम्मेदारी एचएम के ऊपर आ गई।
जब ग्रामीण व पालकों ने देखा कि बार-बार शिक्षक की मांग विकासखंड शिक्षा अधिकारी से की तो उन्होंने ग्राम सिनोधा में पदस्थ एक शिक्षिका को भावा स्कूल भेजा, लेकिन उसने भी ज्वाईिनंग नहीं की और मेडिकल अवकाश में चली गई। ग्रामीणों ने शिक्षक व्यवस्था करने के लिए विभाग को 23 सितंबर तक समय दिया। जब विभाग से एक भी कर्मचारी नहीं पहुंचे तो, 24 सितंबर को आंदोलन किया।शाम चार बजे पहुंचे अधिकारी गांव में सुबह से ही गहमा-गहमी का माहौल था।
सैकड़ों पालक ने मुख्य द्वारा के सामने धरने पर बैठ कर शिक्षक की मांग करते हुए नारेबाजी कर रहे थे। दोपहर 12 बजे तक जब विभाग का एक भी अधिकारी गांव नहीं पहुंचा तो, पालक व ग्रामीण आक्रोशित हो गए थे। शाम चार बजे सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी गजेन्द्र धु्रव एवं बीआरसी योगेश्वर साहू गांव पहुंचकर पालक व ग्रामीणों को आस्वत करते हुए एक शिक्षक की व्यवस्था की जानकारी दी। इसके बाद आंदोलनकर्ता शांत हुए।
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