बिलासपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कल जानकारी दी कि उच्च न्यायालय ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे द्वारा लगाए दो याचिकाओं में छत्तीसगढ़ के महिलाओं और छात्रों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि बाराद्वार (सकती) में अवैध रूप से सरकारी शराब दुकान को बंद कराने के लिए जनांदोलन करने के लिए 6 लोगों को आईपीसी की ग़ैर-ज़मानती धारा 353 (सरकारी कार्य में व्यवधान डालने हेतु) के अंतर्गत पिछले महीने छत्तीसगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
उन्हें आज उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी गई। अधिवक्ता अमित जोगी ने अधिवक्ता रोहित शर्मा के साथ उक्त मामले में पैरवी की थी। उन्होंने तर्क दिया कि शराब बेचना शासकीय कार्य की परिधि में नहीं आता है, इसलिए शराब बेचने का विरोध करना भारतीय दंड संहिता की धारा 353 के अंतर्गत नहीं आता।
साथ ही, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पारित भारत माता महिला वाहिनी अध्यादेश के अंतर्गत महिलाओं को कानून अधिकार देता है कि शराबबंदी लागू करने के लिए वैधानिक रूप से जनजागरण अभियान चलाएं।
अमित जोगी ने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अब भूपेश सरकार शराब दुकानों का शांतिपूर्ण तरीक़े से विरोध करने वालों को डराने-धमकाने हेतु इस प्रकार की जघन्य धाराओं का दुरुपयोग करने की जुर्रत नहीं कर पाएगी।
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के द्वारा उच्च न्यायालय में प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित लिंगदोह समिति की सिफ़ारिशों के पालन में छात्र संघ चुनाव कराने हेतु याचिका दायर करी थी।
याचिककर्ताओं ने तर्क दिया कि छात्र संघ चुनाव उनका मौलिक लोकतांत्रिक अधिकार है जिस से भूपेश सरकार उन्हें वंचित रख रही है। इसमें आज सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने सरकार से सोमवार तक जवाब मांगा है कि सरकार लिंगदोह समिति के अनुसार प्रदेश में छात्र संघ चुनाव क्यों नहीं करा रही हैं?
इस प्रकार के अन्य प्रकरण प्रदेश के समस्त विश्विद्यालयों के छात्रों द्वारा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अगले एक सप्ताह में दर्ज कराने जा रही है। अमित जोगी ने बताया कि वैधानिक रूप से ये दोनों मामले प्रदेश की जनता के लिए- विशेषकर महिलाओं और छात्रों- के लिए सरकार के विरुद्ध बहुत बड़ी उपलब्धि है।
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