
रायपुर। सत्र के दौरान धर्मजीत सिंह ने कहा यह सिर्फ भीमा की मौत के लिए स्थगन नही बल्कि नक्सल में मारे गए सभी लोगों के लिए है। सरकार में रहकर पक्ष को चिंतन की आवश्यक है।
श्रीलंका में जाफना में एलटीटीई को खत्म किया। बंगलादेश बना पाकिस्तान को तोड़कर। क्योंकि नेतृत्व था। नेतृत्व मजबूत होगा तो सैेनिको का मनोबल मजबूत होगा । सबसे बहादुर जनप्रतिनिधि बस्तर के है।
रोज जान को हाथ मे लेकर घर से निकलता हैं। जब मंत्री मैदानी इलाको में जाते है तो सुरक्षा में रहते है। फिर बस्तर के जनप्रतिनिधि को सुरक्षा क्यों नही दे रहे। वहीं इस मामले में केशव चंद्रा ने कहा पुलिस अपनी सुरक्षा खुद नही कर पा रही। सत्ता में रहकर दोनों पार्टी कुछ नही कर पा रही।
हमारे पास सेना पुलिस है। फिर भी वो विकास रोक रहे। सरकार को ठोस नीति बनाने की जरूरत हैं। ऐसा लगता है कि नक्सलियों को किसी तरह से राजनीतिक समर्थन मिल रहा है।
इस पर चर्चा करें और इनको रोकने की भी कोशिश करे। अजय चंद्राकर ने कहा कि 6 माह में हमने विधायक खोया। 1980 में नक्सल बस्तर पहुंचा जब बंगाल से हटा गया।
दोनों जगह सरकार कांग्रेस की थी। आदिवासी के शोषण से नक्सल का जन्म हुआ। जगरगुंडा में स्कूल खुलने की बात करते है पर अब तक वह बने कई स्कूल कॉलेज की बात कोई नहीं करता हैं । मनोबल भत्ता दे रहे । पुनर्वास नीति बनाइये।
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