क्रिकेट वर्ल्ड कप के इतिहास में जो कभी नहीं हुआ वो रविवार को इंग्लैंड के लॉर्ड्स मैदान पर देखने को मिला। क्रिकेट की जनक कहे जाने वाली इंग्लैंड टीम ने न्यूजीलैंड को हराकर पहली बार इस खिताब को अपने नाम किया तो वहीं दूसरी तरफ उन्हें यह जीत जिस अंदाज में मिली वैसा भी कभी किसी वर्ल्ड कप फाइनल मैच में देखने को नहीं मिला। मैच टाई होने के बाद सुपर ओवर हुआ और सुपर ओवर में भी दोनों टीमों का स्कोर बराबरी पर अटक गया, बावजूद इसके इंग्लैंड की टीम सुपर चैम्पियन बन गई।
मेजबान टीम को यह ताज आईसीसी के नियमों की वजह से मिला है, जो कहता है कि अगर सुपर ओवर में भी मैच टाई हो जाए तो ज्यादा जिस टीम की पारी में ज्यादा बाउंड्री होती हैं, उसे ही विजेता मान लिया जाता है।
इस हिसाब से देखा जाए तो इंग्लैंड ने अपनी 50 ओवर की पारी और सुपर ओवर में मिलाकर कुल 26 बाउंड्री मारी, जिसमें 24 चौके और दो छक्के शामिल हैं। जबकि न्यूजीलैंड ने सुपर समेत अपनी पारी में कुल 17 बाउंड्री ही लगा पाया।
समझें बाउंड्री का पूरा गणित
लॉर्ड्स के मैदान में टॉस जीतकर न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 50 ओवर खेलते हुए 8 विकेट खोकर 241 रन बनाए। न्यूजीलैंड ने अपनी पारी में 14 चौके और 2 छक्के लगाए।
इस तरह उसने बाउंड्री के सहारे 68 रन बनाए। वहीं, सुपर ओवर में न्यूजीलैंड की तरफ से सिर्फ एक बाउंड्री लग पाई, जब जिमी नीशाम ने छक्का लगाया। यानी न्यूजीलैंड ने अपनी 50 ओवर की पारी और सुपर में मिलाकर कुल 17 (14 चौके, 3 छक्के) बाउंड्री लगाईं। इस तरह बाउंड्री के सहारे ने न्यूजीलैंड ने कुल 74 रन बनाए।
जबकि दूसरी तरफ इंग्लैंड के बल्लेबाजों का आतिशी अंदाज ही उनकी जीत का कारण बन गया। न्यूजीलैंड 241 रनों के स्कोर का पीछा करते हुए इंग्लैंड के जिन बल्लेबाजों ने भी रन बनाए उसमें जमकर बाउंड्री लगाईं।
जेसन रॉय, बेन स्टोक्स, जॉस बटलर और बेयरस्टो की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत इंग्लैंड ने 50 ओवर की पारी में कुल 22 चौके और 2 छक्के लगाए। जबकि दो चौके बेन स्टोक्स और जॉस बटलर ने सुपर ओवर में लगाए। इस तरह इंग्लैंड ने सुपर ओवर समेत अपनी पूरी पारी में कुल 26 बाउंड्री (24 चौके, 2 छक्के) लगाईं और इनके सहारे 108 रन जुटाए।
यानी बाउंड्री लगाकर इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने कुल 108 रन बटोरे, जबकि न्यूजीलैंड की टीम महज 74 ही बना पाई यानी बाउंड्री के लिहाज से देखा जाए तो यह अंतर 34 रनों का रहा। हालांकि, जीत की असली वजह आईसीसी का नियम ही बना जो कहता है कि सुपर ओवर में भी मैच टाई होने के बाद वही टीम विजेता घोषित की जाती है, जिसने अपनी पारी में सबसे ज्यादा बाउंड्री लगाई होती हैं। इस तरह इंग्लैंड पहली बार वर्ल्ड कप जीतने में कामयाब हो गया।
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