महासमुन्द। बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और पूर्व जिलाध्यक्ष अमरजीत चावला ने कहा है कि मोदी सरकार के आर्थिक-सर्वक्षण की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया था कि मोदी सरकार देश की अर्थ-व्यवस्था की बदहाल स्थिति को अनदेखी करते हुये, अपने बजट में केवल आंकड़ो की बाजीगरी प्रदर्शित करेगी।
मोदी सरकार की वित्त मंत्री श्रीमति निर्मला सीतारमन ने कहा कि वे ‘बजट’ नहीं, ‘बही खाता’ पेश करेंगी। इसके पहले वित्त मंत्री ब्रीफकेस में बजट लेकर आते रहे है, लेकिन वर्तमान वित्तमंत्री उद्योगपतियों की तर्ज पर लाल कपड़े में बही खाता बांधकर संसद भवन पहुंची।
बजट में सरकार की कार्ययोजनाओं का विजन होता है और बही खातों में आय व्यय का हिसाब-किताब होता है। बजट ने देश की जमीनी हालत की अनदेखी कर केवल कार्पोरेट घरानों का ध्यान रखा है। किसानों की आमदनी दुगनी करने की कोई दिशा नहीं है। 2 करोड़ नौजवानों को रोजगार देने पर बजट मौन है। विदेशों से कालाधन लाने पर बजट में कोई चर्चा नही है। नोटबंदी और जीएसटी से बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को उबारने के लिये सरकार ने कोई उपाय नहीं किये है।
निर्माण क्षेत्र में भारी मंदी है। यूपीए सरकार में निवेश जीडीपी का 40 प्रतिशत था जो घटकर 30 प्रतिशत रह गया है। कृषि क्षेत्र में लगातार गिरावट जारी है। बेरोजगारी दर पिछले चार दशकों की तुलना में उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गई है। व्यापार संतुलन में 15.4 अरब डालर का घाटा दर्ज हुआ।
राजकोषीय धारा 3.8 प्रतिशत रखने की चुनौती बनी हुई है। लेकिन इन सबकी अनदेखी करते हुये वित्तमंत्री ने बजट में मोदी सरकारी की सारी पुरानी योजनाओं को दुहराने का काम किया है। बजट में देश की अर्थव्यवस्था को 2025 तक पांच ट्रिलीयन डालर तक ले जाने का सपना दिखाकर आम आदमी को भ्रमित करने का प्रयास किया गया है। अमरजीत ने यह भी बताया कि मोदी सरकार ने बजट को आम आदमी के बजाए बड़े उद्योग घरानों को समर्पित कर दिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि 400 करोड़ टर्नओवर वाली बड़ी कंपनियों पर कार्पोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया, वहीं 10 लाख रूपए. से अधिक सालाना आमदनी वाले मध्यम वर्ग के लोगो, जिसमें व्यापारी, प्रोफेशनल्स एवं कर्मचारी वर्ग आता है, पर 30 प्रतिशत के आय की दर यथावत रखी गई है।
पूर्व जिलाध्यक्ष चावला ने कहा कि पेट्रोल-डीजल के मूल्य अंर्तराष्ट्रीय बाजार की तुलना में वैसे ही उच्चत्तम स्तर पर है, उसमें 1 रूपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी किये जाने से आम आदमी पर बोझ बढ़ेगा। परिवहन लागत बढऩे से उपभोक्ता वस्तुएं की महंगाई की मार आम आदमी पर पड़ेगी। मोदी सरकार के बजट से देश का नौजवान किसान, मजदूर, व्यापारी, महिलायें एवं आमजन अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे है।
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