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शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा…मोदी सरकार का बजट गरीब-किसान विरोधी…रिटेल में FDI बढऩा छोटे व्यापरियों पर कुठाराघात…

रायपुर। मोदी सरकार के बजट को गरीब और किसान विरोधी निरूपित करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि रिटेल में एफ डीआई बढ़ाने की अनुमति देकर मोदी सरकार ने अपनी नीयत छोटे दुकानदारों के प्रति भी साफ कर दी है। रिटेल में एफ डीआई बढ़ाकर खुदरा व्यापारियों को बेरोजगार करने की साजिश है।

बुजुर्ग व्यपारियों पेंशन योजना की घोषणा पर शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि खुदरा रिटेल में एफडीआई बढ़ाने के बाद सभी छोटे व्यपारियों के लिये पेंशन की व्यवस्था करें। मोदी सरकार क्योंकि उनका धंधा तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां चौपट कर देगी। सभी व्यपारियो में लिये पेंशन योजना की घोषणा करें।

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि निर्मला सीतारमण का बजट अम्बानी और अडानी की तरक्की बढ़ाने का बजट है, देश की तरक्की का बजट नहीं है। बजट में मीडिया ने विदेशी निवेश का कांग्रेस ने विरोध किया है।



बड़े और महत्वपूर्ण समाचार पत्र, समाचार चैनल विदेशी हाथों में चले जायेंगे जिसका लगातार मीडिया जगत विरोध करता रहा है। रेल्वे इंफ्रस्ट्रक्चर के निजीकरण पर टिप्पणी करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मोदी सरकार पैतृक संपत्ति को बेच खाने वाले बिगड़ैल बेटे की तरह काम कर रहे हैं।

निर्मला सीतारमण के बजट में किसान, मजदूरों गरीबों आम लोगों के लिये कुछ भी नहीं है। आम आदमी के लिये मोदी सरकार में शौचालय और कुछ लोगों के लिये प्रधानमंत्री आवास के अलावा और कुछ भी नहीं। अंबानी अडानी की तरकी का बजट है। 7000 कंपनिया बंद हुयी।

इनकी जगह अम्बानी अडानी की कंपनियां ले लेगी, यही मोदी सरकार की कुल अर्थनीति का सारे बजट से निकली है। 35 करोड़ एलईडी बांटे जाने का मोदी सरकार ने इस बजट में श्रेय लेने की कोशिश की है। घटिया क्वालिटी और हुये भ्रष्टाचार की भी जिम्मेदारी स्वीकार करें।


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शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि देश के मौजूदा मिक्स इंकानामी ढ़ाचे को तोड़कर पूंजीवाद को मजबूत करने की साजिश के तहत रिटेल में एफडीआईए बीमा सेक्टर में विदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने 51 प्रतिशत एफडीआई मीडिया के क्षेत्र में विदेशी पूंजी निवेश।

बैंकों का संविलियन कर कुल 8 बैंकों में मर्ज करने निर्णय जिससे एक ओर बैंकिंग सेक्टर में नौकरी में कटौती तो वहीं साजिश के तहत विदेशी बैंको को बुलाकर देश की अर्थव्यवस्था बाहरी ताकतो को सौंपने की तैयारी है। सरकारी कंपनियों को बेचने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। बजट में एक ओर यहां छोटे और मध्यम आय वर्ग को कोई राहत नहीं दी गई।

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