छत्तीसगढ़

मिट्टी तेल कोटे में कटौती पर बोले शैलेश नितिन त्रिवेदी…मोदी सरकार का एक और राज्य विरोधी निर्णय…होगा छत्तीसगढ़ को नुकसान…

रायपुर। छत्तीसगढ़ के कैरोसिन मिट्टी तेल कोटे में कटौती पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मोदी सरकार का एक और छत्तीसगढ़ विरोधी फैसला करार दिया है।

पहले दाल भात केन्द्रों का चावल बंद किया। शक्कर कारखानों से शक्कर उठाना बंद किया। छत्तीसगढ़ के कैरोसीन मिट्टी तेल कोटे में कटौती जैसे गरीब विरोधी फैसलों से छत्तीसगढ़ को नुकसान पहुंचाया है। 12.90 लाख लगभग 13 लाख राशन कार्डों के धारकों को कैरोसीन का वितरण प्रभावित हो गया।

राज्य को केरोसिन आवंटन कोटे को वर्तमान 1.15 लाख किलोलीटर से 1.58 लाख किलोलीटर किए जाने की मांग करते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में वर्ष 2016 से आरंभ उज्जवला योजना में 26.79 लाख कनेक्शन वितरित किए जा चुके हैं।



भारत सरकार की नीति अनुसार उज्जवला योजनान्तर्गत वितरित कनेक्शनों की संख्या में वृद्धि के आधार पर राज्य को केरोसिन का आबंटन 1.72 लाख लीटर के स्थान पर 1.15 लाख किलोमीटर कर दिया गया है। पहली तिमाही 28764 कि.लि दिया गयाए दूसरी तिमाही 17880 किली किया गया, जिससे 38 प्रतिशत की कटौती की गयी।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 26 मार्च 2019 को पत्र लिखकर कैरोसीन की कोटा बढ़ाने की मांग की थी। छत्तीसगढ़ को 2015.16 कैरोसिन मिट्टी तेल 1.7 लाख किली दिया जाता था, जिसे 2018.19 में 1.15 लाख किलि करने की मांग की है।
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शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि राज्य को आंबटित अपर्याप्त कोटे के कारण 12.90 लाख राशनकार्ड धारकों को केरोसिन का वितरण नहीं हो पा रहा है। एलपीजी सिलेण्डरों के रिफिल कीमत के युक्तियुक्तकरण होते तक तथा एलपीजी वितरकों की संख्या में पर्याप्त प्रसार होने तक ईधन के रूप में केरोसिन की आवश्यकता बनी रहेगी।

केरोसिन की मात्रा में कटौती से छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों को अत्याधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा है कि छत्तीसगढ़ के भौगोलिक क्षेत्रफल 1.35 लाख वर्ग किमी की तुलना में वितरकों की संख्या बहुत कम है।



दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में निवास करने वाले ग्राहकों के लिए कई किलोमीटर की यात्रा कर रिफिल सिलेण्डर प्राप्त करना बेहद कठिन है एवं दूरस्थ एलपीजी वितरकों की घर पहुंच सेवा बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं है।

इन कारणों से गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों के लिये घरेलू एलपीजी कनेक्शन विद्यमान होते हुये भी केरोसिन का उपयोग खाना पकाने के ईधन के रूप में किये जाने की आवश्यकता है।

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