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छत्तीसगढ़ : किसानों के लिए गले की हड्डी बन गया कर्जमाफी… मानसून नजदीक… पर ऋण नहीं पटाने वाले किसानों नहीं मिल पा रहा कर्ज… भटक रहे किसान…

जगदलपुर। प्रदेश में किसानों की ऋण माफी की घोषणा के साथ आई कांग्रेस सरकार ने किसानों का ऋण माफ करने का कार्य तो किया लेकिन नये कृषि सत्र में उन किसानों को जिनकी कर्ज माफी हो चुकी है और पूर्व में उन्होंने अपने लिए गए ऋण को नहीं चुकाया था।

उन किसानों को नये सीजन में दोबारा कर्ज लेने के लिए भटकना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार बैंक प्रबंधन यह कह रहा है कि ऐसे ऋण नहीं चुकाने वाले किसानों को भी ऋ ण दिया जाएगा पर पहली प्राथमिकता उन किसानों की होगी जो नियमित रूप से लिये गये कर्ज का भुगतान करते आ रहे हैं। उन्हें बैंक द्वारा दोबारा कर्ज आसानी से दिया जा रहा है पर उन किसानों के नये ऋण प्रकरण लंबित रखे जायेंगे।



उल्लेखनीय है कि ऐसे ऋण नहीं चुकाने वाले किसानों को यह चिंता सता रही है कि उनका नम्बर आने तक खेती-किसानी का समय ही समाप्त हो जायेगा। ऐसे में वे बिना धन के कोई कार्य नहीं कर सकेंगे। इसलिए वे आशंकावश अपने लिए अन्य स्त्रोतों से रकम प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
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बस्तर में मानसून 15 जून तक आमतौर पर पहुंच जाता है और इसके पहले प्री मानसून की बारिश में ही अधिकांश खेतों में बोनी शुरू हो जाती है जिसके लिए किसानों को खाद-बीज की आवश्यकता होती है जो सोसायटी में नगद में न मिलकर उधार में मिलती है वहीं ऋण प्रकरण न बन पाने के कारण डिफाल्टर किसानों को बाजार से महंगे दर पर खाद-बीज खरीदना पड़ सकता है।

इस प्रकार ऋण माफी का प्रलोभन उन्हें इस सत्र में भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। इस संबंध में आरबी सिंह, सीइओ जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या जगदलपुर ने जानकारी दी कि इन किसानों को जो पूर्व में लिये गये ऋणों का भुगतान नहीं कर पाते थे उन किसानों का नये सिरे से केसीसी प्रकरण बनेगा और किसान की शिकायत के आधार पर उस पर कार्रवाई की जाएगी। (एजेंसी)

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