नई दिल्ली। रेलवे की सूरत सुधारने में लगा रेल मंत्रालय बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। मंत्रालय यात्री गाडिय़ों की सेवाएं अब निजी क्षेत्र को सौंप सकता है। आने वाले समय में राजधानी और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों को चलाने का जिम्मा निजी कंपनियों को मिल सकता है।
इसको लेकर अगले सौ दिनों का एक टारगेट भी फिक्स किया गया है, जिसमें प्रीमियम ट्रेनों को चलाने का परमिट निजी कंपनियों को देने की योजना है।
रेलवे के सूत्रों के मुताबिक, राजधानी और शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनें प्रॉफिट में चल रही हैं लिहाजा ऐसी ट्रेनों के ऑपरेशन का काम प्राइवेट कंपनियां लेने में ज्यादा इच्छुक होंगी। रेल मंत्रालय का फोकस है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रीमियम ट्रेनों को चलाने का परमिट जल्द से जल्द निजी हाथों में सौंपा जाए।
ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने के पीछे तर्क यह है कि इससे प्रीमियम ट्रेनों की यात्री सुविधाओं में इजाफा होगा। इस तरह से रेलवे के कमर्शियल ऑपरेशन में निजी क्षेत्र बेहतर सुविधाएं प्रदान करेगा, जब रेलवे इन ट्रेनों का परमिट टेंडर के आधार पर किसी ऑपरेटर को देगा तो रेल के डिब्बे और इंजन की जिम्मेदारी रेलवे की रहेगी।
इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि रेलवे यात्रा किराए की ऊपरी सीमा तय कर देगा यानी परमिट पाने वाली निजी कंपनी तय किराए से अधिक नहीं वसूल पाएंगी। प्रीमियम ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने के लिए रेल मंत्रालय को अभी पूरी योजना बनानी है।
ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय रेलवे में प्रीमियम ट्रेनों की निजी भागीदारी को चरणबद्ध तरीके से बढ़ाया जाएगा। शुरुआत में राजधानी और उसके बाद शताब्दी ट्रेनों को एक-एक करके टेंडर के माध्यम से निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा, लेकिन इसकी रूपरेखा क्या होगी यह अभी तय किया जाना बाकी है।
सिर्फ यात्री गाडिय़ां ही नहीं बल्कि माल गाडिय़ों में भी प्राइवेट भागीदारी बढ़ाने के लिए बड़े कदम उठाए जा सकते हैं। रेलवे के सूत्रों के मुताबिक मालगाडिय़ों और उनके वैगन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जाएगा। इससे रेलवे का मकसद डबल स्टैक कंटेनर्स के लिए नए रेल रूट खोलना, इसके अलावा माल गाडिय़ों की स्पीड को बढ़ाए जाने पर है।
इसके लिए रियल टाइम इंफॉर्मेशन सिस्टम यानी आरटीआईएस को सभी लोकोमोटिव में इस साल के अंत तक लगा दिया जाएगा, साथ ही डिस्पले नेटवर्क को पूरे देश में फैलाए जाने की योजना भी रेलवे ने बनाई है. इस साल के अंत तक सभी ट्रेनों में और रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई की सुविधा देने का टारगेट भी फिक्स किया गया है।
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