जगदलपुर। बस्तर के सैकड़ों किसान कृषि में अपनी आय बढ़ाने की कोशिश में दलालों और सप्लायरों के जाल में फंस गए हैं। अब वे आय के बजाय कर्ज में फंस गए हैं। बस्तर में कृषि को बढ़ावा देने के लिए शासन ने कुछ योजनाएं बनाई थी। किसानों को इसका लाभ लेने प्रोत्साहित भी किया था।
कृषि संबंधी उपकरणों की आपूर्ति में दलालों व मध्यस्थों ने बस्तर के दर्जनों किसानों को उनकी सहायता के नाम पर उन्हें कृषि कार्य के लिए ऋण लेने के प्रकरणों में अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर व अन्य दलालों सेकरोड़ों रुपये का घपला किया और किसानों को कर्जदार बना दिया।
इस प्रकार लाखों रूपये की बंदरबांट कर किसानों को न तो कृषि उपकरण प्राप्त हुए और न ही उन्हें कोई जानकारी दी गई। इस घपले में सबसे खास बात यह है कि अधिकारियों ने भी अपनी जेब गरम करने के लिए किसानों के साथ धोखा कर उन्हें कर्जदार भी बना दिया और यंत्र तक सप्लाई नहीं किए गए हैं।
जानकारी के अनुसार अब तक आठ मामले सामने आ चुके हैं जिनमें करीब 60 लाख रुपए से ज्यादा का भ्रष्टाचार किया गया है और यह रकम किसानों के सिर पर ऋ ण की तलवार के रूप में टंगी हुई है।
इस संबंध में कृषि विभाग के सूत्रों ने जानकारी दी कि अभी तो प्रकरणों का खुलासा होना और भी बाकि है। उनके अनुसार ऐसे एक हजार से ज्यादा प्रकरण हैं जिन्मेें ऋण मिलने के बाद सामान की आपूर्ति ही किसानों को नहीं हुई और कई मामले ऐसे हैं जिनमें बेहद घटिया किस्म के सामान सप्लाई किए गए हैं।
इस पूरे में मामले में स्थानीय कुछ कंपनियों के दलालों व एजेंटों के अलावा कृषि विभाग के कुछ कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। बताया जा रहा है कृषि विभाग के कुछ अधिकारियों ने भी सप्लायर बन किसानों को सप्लाई का काम किया है।
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