कोरबा। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षाकर्मी की नौकरी हासिल करने की शिकायत के बाद कोरबा जनपद के अंतर्गत सेवारत् शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कार्य जारी है।
इससे पहले 2 दिन के भीतर अब तक कुल 478 शिक्षाकर्मियों व शिक्षकों ने अपने-अपने दस्तावेज सत्यापन के लिए जमा कराए हैं। इस बीच 2 शिक्षाकर्मियों के निलंबन की अनुशंसा खण्ड शिक्षा अधिकारी ने जनपद सीईओ से की है।
फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर कई लोगों के द्वारा शिक्षा विभाग में नौकरी की शिकायत पर 29 से 31 मई तक कोरबा विकासखण्ड के 1135 शिक्षाकर्मी व 800 नियमित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन जारी है। 5 सदस्यीय टीम के पास ये दस्तावेज जमा कराये जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक पहले दिन 246 शिक्षकों ने अपने दस्तावेज जमा कराये वहीं आज दूसरे दिन कुल 232 ने दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। इन सबके बीच कोरबा खण्ड शिक्षा अधिकारी एसके अग्रवाल द्वारा शिक्षाकर्मी खुमान प्रसाद राजवाड़े तथा चितरंजन प्रसाद कश्यप के निलंबन की अनुशंसा करते हुए मुख्य नियोक्ता कोरबा जनपद सीईओ को पत्र प्रेषित कर दिया है।
याद रहे चितरंजन प्रसाद कश्यप मूल निवासी ग्राम हसौद जांजगीर-चांपा को फर्जी अंकसूची एवं खेल प्रमाण पत्र बनवा कर कोरबा जिले के ग्राम छिरहुट प्राथमिक शाला में वर्ष 2007 से नौकरी करने की शिकायत पर 2 दिन पहले गिरफ्तार किया गया।
इसी तरह खुमान प्रसाद राजवाड़े निवासी ग्राम बिरदा जो प्राथमिक शाला धौराभांठा में पदस्थ है, उसने बड़ी कूटरचना करते हुए किसी का रोल नंबर तो किसी का नामांकन क्रमांक और प्राप्तांक दर्ज कर निर्मित अंकसूची से नौकरी हासिल की है।
सूचना का अधिकार में यह खुलासा होने के बाद शिकायत में सही पाये जाने पर निलंबन की अनुशंसा की गई है। बीईओ श्री अग्रवाल ने बताया कि अनुशंसा बाद अग्रिम कार्यवाही जनपद सीईओ द्वारा की जानी है।
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कोरबा ब्लॉक के 24 जन शिक्षा केन्द्र के अधीन संचालित स्कूलों के शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों से दस्तावेज मांगे जाने पर प्राय: सभी लोगों के द्वारा अधूरे दस्तावेज जमा किये जा रहे हैं।
इनमें सबसे प्रमुख खेलकूद व अनुभव प्रमाण पत्र है, जिसके आधार पर 5 अंक बोनस के रूप में प्राप्त किए गए हैं। नौकरी हासिल करने के लिये नियुक्ति आवेदन में ये आवेदन तो जमा किये गए थे किन्तु वर्तमान में अपेक्षाकृत कम दस्तावेज दिया जाना गड़बड़ी को पुख्ता कर रहा है। हालांकि अभी ऐसे लोगों के आंकड़े व नाम उजागर नहीं किए गए हैं किन्तु जल्द ही ऐसे फर्जी लोग सामने लाये जाएंगे।
याद रहे छत्तीसगढ़ शासन के सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा 10 अगस्त 2018 को एक आदेश समस्त कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ को जारी कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के झूठे (फर्जी/गलत) प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने वाले शासकीय सेवकों की सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया गया था।
उक्त पत्र में कहा गया कि जाति प्रमाण पत्र उच्च स्तरीय छानबीन समिति द्वारा अजा, अजजा एवं अपिव के झूठे जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त करने वाले शासकीय सेवकों का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने का आदेश पारित करने की सूचना पर प्रशासकीय विभाग द्वारा संबंधित शासकीय सेवक की नियुक्ति निरस्त कर उसकी सेवाएं तत्काल समाप्त करने बावत् निर्देश सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए, साथ ही ऐसे लोगों की सेवाएं समाप्त करने के लिए विभागीय जांच एवं अन्य जांच की आवश्यकता नहीं थी।
यदि किसी प्रकरण में न्यायालय द्वारा स्थगन प्रदान किया गया है तो उनकी समीक्षा विधि विभाग द्वारा किया जाना है व स्थगन समाप्त कराने की कार्यवाही संबंधित प्रशासकीय विभाग द्वारा की जाएगी।
उक्त संबंध में पूर्व में कई बार जारी निर्देश का पालन विभागों द्वारा नहीं किया गया जिसे कदापि उचित नहीं माना गया व पुन: 10 अगस्त 2018 को पत्र जारी कर ऐसे लोगों की सेवाएं अविलंब समाप्त करने का आदेश जारी किया गया। जिले में इस तरह की कार्यवाही अब तक सुनने को नहीं मिली है जबकि यहां भी फर्जी आधार पर कुछ लोग नौकरी कर रहे हैं।
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