नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में प्रचंड जीत को देखते हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। बीजेपी जम्मू-कश्मीर में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने की ताक में है, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि बीजेपी ने पाक अधिकृत कश्मीर में भी चुनाव लडऩे की तैयारी में है।
इसके लिए बीजेपी ने एक खास किस्म का चुनाव अभियान लांच करने वाली है। यहां तक कि बीजेपी ने मन बना लिया है कि वो भारतीय चुनाव आयोग से आग्रह करेगी कि पीओके की 24 रिजर्व सीटों में कम से कम आठ पर चुनाव कराएं।
जम्मू-कश्मीर में कुल 111 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन इनमें से 87 पर ही भारतीय चुनाव आयोग चुनाव कराता है। पाक व चीन अधिकृत कश्मीर की 24 विधानसभा सीटें रिजर्व रखी गई हैं। ऐसा माना जाता है कि जब यह क्षेत्र भारत को वापस मिलेगा तो इन 24 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे।
साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 87 सीटों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कांफ्रेंस ने 15, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 12 व दूसरी छोटी पार्टियों व निर्दलीय उम्मीदवारों ने सात सीटें जीती थीं।
इसके बाद बीजेपी और पीडीपी ने चुनाव बाद गठबंधन कर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, लेकिन साल 2018 में बीजेपी ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया और अब दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में फिर से विधानसभा होने की सुगबुगाहट है।
जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों का परिसीमन
जम्मू-कश्मीर में फिलहाल 87 सीटों पर चुनाव होते हैं। इनमें 46 कश्मीर डिवीजन में आती हैं, जबकि 37 सीटें जम्मू और चार सीटें लद्दाख डिवीजन में हैं। इसके अलावा दो अन्य सीटों पर प्रतिनिधि नामांकित किए जाते हैं।
पीओके में चुनाव की स्थिति
असल में जम्मू-कश्मीर का पूरा क्षेत्र 111 सीटों वाला है, 24 विधानसभा क्षेत्रों पर भारतीय इलेक्शन कमीशन चुनाव नहीं कराता। इन 24 विधानसभा क्षेत्रों पर चीन और पाकिस्तान ने कब्जा कर रखा है।
क्या है बीजेपी का आग्रह
बीजेपी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के अलावा चीन अधिकृत हिस्से के 24 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव आयोग से कुल 24 में से आठ पर ही चुनाव कराने का आग्रह करेगी।
असल में हालिया लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की कुल छह सीटों में तीन सीटों में विजय हासिल की है।
इनमें सबसे अहम बात ये है कि बीजेपी को घाटी में ज्यादा वोट मिले हैं। बीजेपी को सबसे ज्यादा ट्राल विधानसभा क्षेत्र में मिला है, जो दक्षिणी अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के अंतरगत आता है।
यहां तक पाकिस्तान के सटे कई इलाकों में चुनाव का बहिष्कार हुआ था, इसलिए इस क्षेत्र में केवल 1.14 फीसदी ही वोट पड़े थे। इनमें कुल 1019 लोगों ने वोट डाला, लेकिन इतनी कम वोटिंग में भी बीजेपी को सबसे ज्यादा 323 व एनसी को 234 वोट मिले थे।
इस तरह की वोटिंग से बीजेपी का विश्वास बढ़ा है। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बीजेपी एक वरिष्ठ नेता बताया कि ये परिणाम प्रोत्साहित करने वाला रहा। निकाय और पंचायत चुनाव भी हमारे पक्ष में रहे हैं।
अब लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन रहा। यह विश्वास बढ़ाता है। हम उम्मीद करते हैं कि आगामी चुनाव में बीजेपी बहुमत की सरकार बनाए। सब ठीक रहा तो पाक अधिकृत में कुछ सीटों पर चुनाव होंगे।
क्या है प्लान, कैसे होंगे पीओके में चुनाव?
बीजेपी के अनुसार पाक अधिकृत कश्मीर के निवासी एक तिहाई से ज्यादा लोग एलओसी के इस पार प्रवास कर चुके हैं। ऐसे में अगर वहां के मतदाता इस पार आ रहे हैं तो क्यों नहीं उन्हें मतदान का मौका दिया जाए।
इसके लिए बीजेपी ने जिस तरह से कश्मीरी पंडितों के लिए एम फॉर्म की व्यवस्था की गई है, उसी तरह से पीओके के प्रवासी भारतीयों के लिए यह व्यवस्था सुझाई है। एम फॉर्म के अनुसार कश्मीरी पंडित भारत के किसी अन्य क्षेत्र में रहते हुए अपना वोट दे सकते हैं।
इसी तरह सुझाया गया है, भारत में रह रहे पीओके से आए लोगों को अपने विधानसभा क्षेत्रों के नाम लिखते हुए चुनाव में शामिल होने की छूट मिले। वे अपने एम फॉर्म में अपने पीओके वाले विधानसभा क्षेत्र की जानकारी दें और वोटिंग में शामिल हों। एम फॉर्म एक विस्तृत फॉर्म होता है, जिसमें अपने निवास और नागरिकता को लेकर व्यापक साक्ष्य देने होते हैं।
पीओके में चुनाव का इतिहास
भारत की आ जादी से पहले और आजादी वक्त तक कश्मीर राजा हरिसिंह की रियासत हुआ करती थी, लेकिन बंटावारे के समय भूभाग को लेकर विवाद हो गया। बाद में जब जम्मु कश्मीर विधानसभाओं का परिसीमन हुआ तो पाकिस्तान और चीन ने भारत के 24 विधानसभा क्षेत्रों को कब्जा कर लिया. तब इलेक्शन कमीशन ने इन 24 विधानसभा क्षेत्रों को रिजर्व रखा है।
पीओके के नागरिक मांगते हैं अपना प्रतिनिधि
जब जम्मु कश्मीर में धारा 370 और 35 लगने के बाद चुनावों की शुरुआत हुई, लेकिन इनमें पीओके में रहने वालों का कोई प्रतिनिधित्व शामिल नहीं हो पाया। बाद में पीओके में रहने वाले लोग हिंसा से बचने के लिए घाटी में आकर रहने लगे। अब वे अपने अधिकारों के लिए लगातार अपने बीच के लोगों में से कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व मांगते हैं। बीजेपी इसके लिए एक प्लान लेकर आ रही है।
यह भी देखें :
PM नरेन्द्र मोदी की सीताफल वाली कुल्फी…24 घंटे की मेहनत के बाद तैयार हुआ…
Add Comment