महासमुंद। जंगली हाथियों को जंगल की ओर खदेडऩे, फसल व जनहानि कम करने वन विभाग ने विभिन्न प्रयास किए है, लेकिन सफलता मिलती नहीं दिख रही है। दंतैल लगातार फसल के साथ लोगों को नुकसान पहुंच रहे हैं। अब वन विभाग हाथियों को खदेडऩे के बजाय आबादी क्षेत्र से दूर रखने के लिए ईआरएल (एलिफेंट रिफलेंट लाइट) जुगजुगी लाइट व ईआरबी (एलिफेंट रिप्लेंट बेरिकेट) सोलर लाइट का इस्तेमाल कर रहा है।
मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी अधिकारी केके बिसेन ने ग्राम कुकराडीह में हाथियों को रिहायशी इलाकों में आने से रोकने के लिए ईआरएल (इलिफेंट रिफलेंट लाइट) जुगजुगी लाइट व ईआरबी एलिफेंट रिप्लेंट बेरिकेट सोलर लाइट पद्धति के बारे में ग्रामीणों को बताया। उन्होंने बताया कि इस लाईट की रोशनी हाथियों के आंख पर पडऩे के बाद हाथी यह तय नहीं कर पाएंगे की उन्हें किस ओर बढ़ाना है।
इस तरह वे असमजंस में इधर-उधर होते रहेंगे। यदि, यह लाईट एक सीधे में लगा दी जाए तो हाथी इसके सहारे जंगल की ओर रहेंगे। इससे ग्रामीणों को जानमाल की हानि नहीं होगी। इस प्रयोग से होने वाले फायदे के बारे में बताते हुए ग्रामीणोंं को इस प्रयोग को अपनाने के लिए कहा है। बिसेन ने कहा कि कुकराडीह, लहंगर, परसाडीह और खिरसाली सहित आसपास के ग्रामीणों को इसके इस्तेमाल करने के लिए आगामी 15 दिनों तक प्रशिक्षित करने की बात भी कही।
बताया जाता है कि इस प्रयोग से हाथियों को जिले के सीमा से लगे बार नयापारा के जंगलों में खदेड़ा जाएगा। वर्तमान में इसका कंट्रोल वन विभाग के पास है। इस पद्वति को अपनाने के लिए सभी ग्रामीणों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस पद्वति में खर्च भी कम आ रहे हैं। इसमें 12 वोल्ट की बैटरी लगी हुई है। इआरएल सिस्टम में लाइट जलता है वहीं ईआरबी सिस्टम में सोलर के माध्यम से करंट प्रवाहित होता है।
इससे हाथी पुन: पीछे हट जाता है। उन्होंने बताया कि ने हाथियों को रोकने के लिए सिरपुर क्षेत्र से लगे जंगलों की सीमा में ईआरएल सिस्टम लगाया है। इस सिस्टम का प्रयोग सफल रहा है। बताया जाता है कि इसमें लगने वाले करंट के बाद हाथी वापस जंगल की ओर लौट जा रहे है। इस सिस्टम का प्रयोग सरगुजा में हाथियों को खदेडऩे के लिए किया जा चुका है।
डर में जी रहे ग्रामीण
सिरपुर क्षेत्र में हाथियों का झुंड लगातार ग्रामीणों की फसल को क्षति पहुंचा रहा है। हाथियों के डर से ग्रामीण का हर दिन दहशत के साए में बीत रहा है। ज्ञात हो कि सिरपुर क्षेत्र के 45 गांवो में दहशत का माहौल। हाथी कभी भी किसी भी गांव में पहुंच जाते है और फसल को क्षति पहुंचाते है जिसे लेकर ग्रामीण सबसे अधिक परेशान है। ग्रामीणों में फसल के साथ अपने और परिवार की चिंता भी सता रही है।
बताया जा रहा है कि शनिवार को मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी अधिकारीकेके बिसेन ग्राम कुकराडीह में ग्रामीणों को वैज्ञानिक पद्वति के बारे में जानकारी दे रहे थे, तभी 19 हाथी गांव के पास पहुंच गए। हाथियों को देख अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों को हाथियों से दूर रहने की सलाह दी, लेकिन ग्रामीण नहीं माने और जंगल की ओर हाथी देखने के लिए चले गए। ज्ञात हो कि हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रह हैं।
तंबाखू और मिर्च में फूंके लाखों
जुलाई 2016 में हाथियों को भगाने के लिए डॉ. रूद्र ने मिर्च पावडर व तम्बाखू के सहारा लिया। लाखों रुपए के मिर्च व तम्बाखू भागने के नाम पर फंूक दिए, लेकिन हाथी सिरपुर क्षेत्र से भगा नहीं है। इसके बाद कलकत्ता से हुल्ला पार्टी मंगाई गई। हुल्ला पार्टी ने भी हाथियों को भगाने का प्रयास किया, लेकिन रुपए नहीं मिलने के बाद वह भी काम को अधूरा छोड़कर भाग गए, लेकिन हाथियों का आतंक अब तक नहीं रूका।
इसके बाद सरगुजा से आए लोगों ने लेजर लाइन का इस्तेमाल किया। इसके बाद भी जंगली हाथी नहीं भागे। प्रयास एक के बाद एक असफल होते गया। बाद में कर्नाटक से कुमकी हाथी लाए।
कुमकी हाथी आने से ग्रामीणों की उम्मीद जगी, लेकिन ऑपरेशन में हुई लेट लतीफी से ग्रामीणों को राहत नहीं मिली। कुमकी हाथी के रहते हुए चार से पांच लोगों को दंतैल ने मौत के घाट उतार दिया। वन विभाग कुमकी हाथियों पर करोड़ो रुपए खर्च की, लेकिन हासिल कुछ नहीं आया और अंत में कुमकी हाथियों को सरगुजा भेज दिया गया।
यह भी देखें :
Add Comment