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नहर के लिए अधिगृहीत सरकारी जमीन बेच दी…तात्कालीन तहसीलदार भी संदेह के घेरे में…सात के खिलाफ मामला दर्ज…

महासमुंद। कोडार नहर निर्माण के लिए अधिगृहीत भूमि को बेचने का मामला सामने आया है। आरोप है कि 2३ सितंबर 2017 को कटोरा तालाब, रायपुर के रहने वाले अर्जुन दास पासवानी को नहर नाली के लिए अधिगृहीत जमीन बेच दी गई थी।

मामले का खुलासा होने के बाद एसडीएम न्यायालय के आदेश पर तहसीलदार भागीरथी खांडे ने मामले की शिकायत सिटी कोतवाली में की थी। तहसीलदार की शिकायत पर कोतवाली पुलिस ने 7 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर किया है।



घटना में तात्कालीन तहसीलदार की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसे लेकर पूर्व में शिकायत की गई थी। शिकायत के आधार पर ही पूरे मामले की जांच के बाद एफआईआर दर्ज की गई है।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार तहसीलदार की शिकायत पर कमल किशोर तंबोली, पवन कुमार, संतोष बाई, पूर्णिमा बाई, खिलावन, मुकेश और हुकुमचंद के विरुद्ध अपराध दर्ज किया गया है।
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कोतवाली में तहसीलदार की ओर से की गई शिकायत के अनुसार रायपुर रोड स्थित भूमि ख.नं. 5३2/1 रकबा 0.३३6 हेक्टेयर भूमि को 20 अगस्त 1975 के पंजीकृत विक्रय विलेख में क्रेतागण देवसिंह पिता पुनउ बिटन बाई जौजे देवसिंह एवं कमल पिता धनीराम के नाम पर राजस्व अभिलेख में बतौर स्वामी दर्ज होकर चला आ रहा था।

ये जमीन पर दाखिल काबिज होकर उपभोग करते आ रहे थे। वर्ष 1995 में देवसिंह की मृत्यु हो जाने के कारण एवं वसीयतनामे के आधार पर देवसिंह पिता पुनउ का नाम विलोपित कर शेष पक्षकारों में तात्कालीन भूमिस्वामी कमल कुमार तंबोली ने भूमि ख.नं. 5३2/1 रकबा 0.३३6 हेक्टेयर को 2३ सितंबर 2017 को अर्जुनदास पासवानी को बेच दिया। जबकि, उक्त जमीन शासकीय नहर नाली हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा अधिग्रहित की गई थी।

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