नई दिल्ली।लोकसभा चुनाव के बीच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का मुद्दा फिर से गरमा गया है। ईवीएम में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल के साथ पार्टी का नाम (बीजेपी) लिखे होने के आरोप पर तृणमूल कांग्रेस को झटका लगा है। चुनाव आयोग ने तृणमूल की इस शिकायत को खारिज कर दिया है।
तृणमूल कांग्रेस के महासचिव सुब्रत बक्शी ने इस संबंध में चुनाव आयोग से 26 अप्रैल को शिकायत की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल के बैरकपुर संसदीय क्षेत्र में ईवीएम में भारतीय जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह के ठीक नीचे पार्टी का नाम लिखा है। यहां से बीजेपी के प्रत्याशी अर्जुन सिंह हैं।
इस शिकायत के बाद शनिवार को दिल्ली में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयुक्त से कहा कि बैलेट पेपर पर सिंबल के साथ पार्टी का नाम होना गैरकानूनी है और इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही आने वाले चरणों में ये ईवीएम हटनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने इस शिकायत का जवाब देते हुए बताया है कि बैलेट पेपर पर ऐसा कुछ नहीं है, जिससे सिंबल (कमल) के साथ पार्टी (बीजेपी) का नाम प्रतीत हो रहा हो। आयोग ने यह भी बताया कि भारतीय जनता पार्टी के सिंबल में आखिरी बार 2013 में बदलाव किया गया था।
उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में उसी डिजाइन का इस्तेमाल किया गया, जबकि शनिवार को चुनाव आयुक्त से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, अभिषेक मनु सिंघवी और तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन व दिनेश त्रिवेदी ने आरोप लगाया था कि ‘कमल’ के साथ बीजेपी लिखा हुआ स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
कांग्रेस प्रवक्ता सिंघवी ने कहा था कि ईवीएम में बीजेपी का नाम, उसके चुनाव चिन्ह (कमल) के नीचे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, जबकि दूसरी किसी पार्टी का नाम चुनाव चिन्ह के नीचे नहीं दिखाई दे रहा है। सिंघवी ने यह भी कहा था कि हमने चुनाव आयोग से आग्रह किया है ऐसी मशीनों को हटाया जाए या फिर सुनिश्चित किया जाए कि दूसरी पार्टियों के नाम भी इन मशीनों पर स्पष्ट रूप से दिखें।
बैरकपुर से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार दिनेश त्रिवेदी ने दावा किया कि यह जनता के साथ स्पष्ट रूप से धोखा है और ईवीएम को हैक करने की कोशिश है। बहरहाल, चौथे चरण के मतदान से ठीक एक दिन पहले ईवीएम में बीजेपी के सिंबल के साथ पार्टी के नाम वाली शिकायत चुनाव आयोग से खारिज होना, ईवीएम पर विपक्ष की लड़ाई के लिए झटका मानी जा रही है।
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