रायपुर। राज्य में सभी सात लोकसभा सीटों के लिए मतदान हो गया है। राज्य की सभी सात सीटों पर हुए अच्छे मतदान से कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों ने इसे अपने-अपने लिए अच्छा संकेत माना है। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि मतदाताओं का रूझान किस ओर रहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव परिणाम चाहे जो हों, नुकसान केवल भाजपा को ही उठाना पड़ेगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि वर्ष 2014 में भाजपा की झोली में 10 सीट और कांग्रेस के पाले में एक सीट थी। राज्य में यदि कांग्रेस की सीट बढ़ी तो इसका खामियाजा निश्चित रूप से भाजपा को ही उठाना पड़ेगा।
राज्य की 11 लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो चुका है, लेकिन तस्वीर अभी भी धुंधली ही बनी हुई है। तीसरे चरण के तहत कल प्रदेश के शेष 7 सीटों पर मतदान संपन्न हुआ है। मतदाताओं के भारी उत्साह के बाद सातों सीट पर ताबड़तोड़ मतदान से कांग्रेस और भाजपा के रणनीतिकार भी प्रसन्न दिखाई दिए।
लेकिन यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि मतदाताओं का रूझान किस ओर रहा। दोनों ही दलों के रणनीतिकार इसे अपने-अपने लिए काफी शुभ संकेत मानकर चल रहे हैं और दोनों ही दल बेहतरीन जीत के प्रति आश्वस्त हैं।
वहीं दूसरी ओर राजनीति के जानकारों का कहना है कि चुनाव परिणाम चाहे जो हों, लेकिन नुकसान केवल और केवल भाजपा को ही उठाना पड़ सकता है। इसका खुलासा करते हुए विश्लेषकों ने कहा कि वर्ष 2014 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 में से 10 सीटों पर भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल किया था।
इस लिहाज से इस बार हुए चुनाव में भाजपा को अपनी सीटें बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा है। वहीं कांग्रेस जो पिछली बार केवल 1 सीट पर काबिज थी, यदि इस बार उनकी सीटें बढ़ती हैं तो यह भाजपा के लिए सीधे-सीधे नुकसानदेह साबित होगा।
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