क्या किसी बम धमाके का अभियुक्त लोकसभा का चुनाव लड़ सकता है? क्या चुनाव लड़ने के लिए बम धमाके के मामले से बरी होना जरूरी है?
ये सवाल इसलिए क्योंकि 2008 में हुए मालेगांव धमाकों की अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा ठाकुर बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ने की बात कह रही है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने ऐलान किया है कि वे कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल से चुनावी मैदान में उतर रही हैं।
29 सितम्बर, 2008 को मालेगांव में हुए धमाकों में छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 जख्मी हो गए थे। इस घटना में एक मोटरसाइकिल पर विस्फोटक बांध कर धमाका किया गया था। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को भी आरोपी बनाया गया था।
मालेगांव बम धमाकों के मामले में पहले महाराष्ट्र एटीएस ने जांच की थी। बाद में जांच नेशनल इन्विस्टिगेशन एजेंसी को सौंप दी गई। नेशनल इन्विस्टिगेशन एजेंसी ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ तमाम आरोपों को हटा लिया, लेकिन कोर्ट ने एजेंसी के दावे को मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 लोगों के खिलाफ आरोप तय कर दिए। बाद में अप्रैल, 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट से ठाकुर को जमानत मिली थी।
सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे दावे कर रहे हैं कि साध्वी को एनआईए कोर्ट ने बरी कर दिया, किसी ने लिखा कि उन्हें हाईकोर्ट ने निर्दोष करार दिया तो ऐसे भी ट्वीट दिखे जिसमें सुप्रीम कोर्ट में साध्वी के बरी होने की बात लिखी गई। लेकिन ये सभी दावे फेक हैं। असल में भारत में लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए आपराधिक मामलों में कोर्ट से बरी होना जरूरी नहीं है।
भारतीय कानून के मुताबिक, आपराधिक मामलों में दोषी करार दिए जाने के बाद 2 साल या 2 साल से अधिक की सजा पाने वाला व्यक्ति ही चुनाव लड़ने से अयोग्य होता है। ऐसे में चूंकि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कोर्ट ने दोषी करार नहीं दिया है और न ही सजा सुनाई गई है, ऐसे में उनके चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं होगी। भारतीय चुनाव आयोग के पास भी ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह धमाकों के मामलों में अभियुक्त को चुनाव लड़ने से रोक सके।
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