गरियाबंद। आगामी लोकसभा चुनाव का गरियाबंद के 11 गांवों के ग्रामीणों द्वारा बहिष्कार करने का सामूहिक निर्णय लिए जाने की खबर मिल रही है। इसके लिए ग्रामीणों ने गांव-गांव में बैनर-पोस्टर मुख्य मार्गों पर लगाकर नेताओं को अपने निर्णय से पूरी तरह से अवगत करवाना शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों की माने तो गांव के मुख्य मार्गों में बैनर लगाकर उसमें साफ कर दिया गया है कि वोट मांगने के लिए नेताओं का इस गांव में आना प्रतिबंधित है, वहीं ग्रामीणों द्वारा इस तरह का बैनर-पोस्टर लगाए जाने के बाद 11 गांव के साथ ही आसपास के गांव में भी परिस्थितियां कुछ बदलती नजर आ रही है।
हालांकि आसपास के गांव के लोग 11 गांव के लोगों के निर्णय को लेकर कुछ कहते हुए भी नजर नहीं आ रहे हैं। आपको बताते चले कि पिछले दिनों 11 गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने एसडीएम निर्भय साहू को ज्ञापन सौंपकर साफ कर दिया था कि उनकी मांगों को लेकर जिम्मेदारों ने किसी तरह का कोई ध्यान नहीं दिया,ऐसे में वे चुनाव बहिष्कार करने को मजबूर हैं।
आपको बताते चले कि इस समय सेनमुड़ा,सुपेबेड़ा,ठिरलीगुड़ा,निष्टीगुड़ा के साथ ही 11 गांव में वोट बहिष्कार के बैनर-पोस्टर गांव के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगा दिया गया है।
पुलिया की मिल चुकी हैं स्वीकृति-: यहां बताते चले कि सेनमुड़ा नदी पर बीते साल तत्कालीन संसदीय सचिव गोवर्धन सिंह मांझी ने भूमिपूजन भी किया था.उस दौरान पुलिया की स्वीकृति करीब 6 करोड़ रूपए के आसपास बताई गई थी.
ग्रामीण बताते हैं कि भूमिपूजन के दौरान कुछ दिन काम भी चला था,लेकिन कुछ दिनों के बाद फिर से अचानक काम बंद कर दिया गया,वहीं जिम्मेदारों से पूछने पर आए दिन गोलमोल जवाब मिलता था.
जनपद उपाध्यक्ष देशबंधु नायक बताते हैं कि वे मानते हैं सेनमुड़ा नदी पर पुलिया की स्वीकृति मिल चुकी है,वहीं पुलिया की स्वीकृति मिलने के बाद भी जिम्मेदारों ने काम को गंभीरता से कभी नहीं लिया। काम शुरू न होने की बात पूछने पर कभी फाईल उच्च कार्यालय को भेजे जाने की बात कही,तो कभी पुन: रिवाईज इस्टीमेट बनाकर मंत्रालय में फाईल होने की बात एक साल से कहते आए,जिसके चलते ग्रामीण बहुत ज्यादा नाराज हो गए.वहीं अंतिम में चुनाव बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया।
अभी तक उम्मीदवारों ने नहीं किया दौरा-: लोकसभा चुनाव के लिए वोट डालने के लिए मात्र 6 दिन ही शेष रह गए है। लेकिन अभी तक भाजपा या कांग्रेस के किसी भी उम्मीदवार ने 11 गांव तक पहुंचने की कोषिष भी नहीं की है.
हालांकि मांग पुरा नहीं होने से नाराज चल रहे ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वे गांव के अंदर घुसने नहीं देंगे। ग्रामीणों की माने तो उम्मीदवारों को वे विकास के संबंध में सवाल करेंगे,इसके बाद बताएंगे कि किस तरह अंचल लोवोल्टेज से जूझ रहा है.
किस तरह सेनमुड़ा नदी में पुल नहीं होने से समय पर लोगों को ईलाज नहीं मिल पाता और उनकी मौत हो जाती है। यहां बताना लाजमी होगा कि लोस चुनाव के द्वितीय चरण में 18 अप्रैल को महासमुंद लोकसभा के लिए वोट डाला जाना है।
वहीं लोकतंत्र के प्रति जनता का इस तरह का रवैया देखकर जनप्रतिनिधियों को भी जागरूक होकर जनता के समस्याओं पर गंभीरता लेते हुए उसे पूरा करना होगा,तभी लोकतंत्र के महापर्व के प्रति जनता का विश्वास और ज्यादा बढ़ेगा।
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