रायपुर। वैसे तो सरकारी स्कूल की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। लेकिन यदि वहां कार्यरत शिक्षक स्वयं अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन के साथ-साथ कुछ समय स्कूलों को सजाने और संवारने में लगाएं तो निश्चित है सरकारी स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी आगे निकल जाएं।
लेकिन ऐसी पहल आखिर करें तो कौन करें, लेकिन छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के रामानुजनगर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत पंपापुर के शासकीय प्राथमिक शाला झारपारा में पदस्थ एक शिक्षक गौतम शर्मा ने इसका बीड़ा उठाया और अपने चार महीने की मेहनत से ही उन्होंने स्कूल का कायाकल्प कर दिया।
इसके लिए गौतम शर्मा ने कई लोगों से संपर्क भी साधा, कहीं उसे सहायता मिली तो कहीं नहीं। लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। आज उसकी इसी मेहनत के फलस्वरूप कभी वीरान रहे इस स्कूल में बच्चों की फौज दिखाई देती है।
गौतम शर्मा से चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में उनकी पदस्थापना अतिशेष से अध्यापन व्यवस्था के तहत् हुई, तो इस विद्यालय की स्थिति बहुत ही ज्यादा चिंताजनक थी। सभी कमरों के फर्श उखडक़र गड्ढ़े बने हुए थे और बच्चों को इन्हीं गड्ढ़ों पर फटी हुई टाटपट्टी पर बैठकर अध्यापन करना पड़ता था।
विद्यालय की कई दरवाजे-खिड़कियाँ और गेट उखड़े व टूटे पड़े थे । विद्यालय का अतिरिक्त कक्ष गौशाला बना हुआ था, क्योंकि गाँव की गायें यही रात गुजारती थी। शाला परिसर में स्वच्छता की स्थिति भी बहुत दयनीय थी । विद्यालय में चार पेटी, दो कुर्सी और एक टेबल के अलावा कोई भी संसाधन उपलब्ध नहीं था।
शीतकालीन अवकाश में खुद ही किया रंगाई-पोताई
उन्होंने कार्यभार ग्रहण करते ही इस विद्यालय की दशा सुधारने की ठानी। सबसे पहले ग्राम पंचायत पम्पापुर के सरपंच बेचन सिंह और सचिव देवराजेन्द्र सिंह के सहयोग से सभी कमरों के टूटे फर्श की मरम्मत का कार्य करवाया। उसके पश्चात् सामुदायिक जनसहयोग से जुटाये गये संसाधनों से विद्यालय को आकर्षित बनाने के लिए रंगाई-पुताई का कार्य स्वयं ही शीतकालीन अवकाश एवं अन्य सभी अवकाश के दिनों में समय निकालकर किया। पेन्टिंग कार्य में उनका पूरा साथ रामानुजनगर के जनशिक्षक नन्दकुमार सिंह ने नि: स्वार्थ भाव से दिया।
नन्दकुमार सिंह से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि गौतम शर्मा के शिक्षा के प्रति समर्पण भाव को देखकर उन्होंने शिक्षा गुणवत्ता में सुधार में उनका सहयोग किया और आगे भी हरसंभव सहयोग करते रहेंगे।
बनाया स्कूल का लोगो
गौतम शर्मा ने शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए नवाचार के तहत् दिसम्बर 2018 में इस विद्यालय को एक अलग पहचान दिलाने के लिये प्रतीक चिह्न (लोगो) तैयार कर उसके उपयोग की विभागीय अनुमति जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार सिंह से ली, इस तरह प्रतीक चिह्न (लोगो) के उपयोग की अनुमति प्राप्त करने वाला जिले का यह पहला शासकीय विद्यालय बना।
स्वयं के वेतन से बच्चों को दिलाया टाई, बेल्ट और परिचय पत्र
इसी कड़ी में इन्होंने जनवरी 2019 में बच्चों में शाला के प्रति रूचि बढ़ाने के लिए अपने स्वयं के वेतन से शाला में दर्ज सभी बच्चों के लिए टाई-बेल्ट और परिचय पत्र उपलब्ध कराया।
बनाया बच्चों का बैंक
इस विद्यालय में बच्चों के फिजूलखर्ची की आदत को छुड़ाने और बचत के महत्व को समझाने के लिए 1 फरवरी 2019 से संभाग का पहला बच्चों का बैंक (पिगी बैंक) भी संचालित हैं, जिसका संचालन शाला के बच्चे स्वयं करते हैं, इस बैंक की कार्यप्रणाली अन्य बैंकों के समान ही हैं, सभी खाताधारकों का अपना-अपना पासबुक हैं, पैसे जमा और आहरण करने के लिए जमा व निकासी पर्ची भरा जाता हैं। बैंक की कैशियर के द्वारा आय-व्यय का हिसाब रखने के लिए लेजर और दैनिक लेखा पंजी संधारित किया जाता हैं, इस बैंक में खाताधारकों को हर महीने ब्याज भी दिया जाता हैं।
नवाचारी शिक्षक गौतम शर्मा के द्वारा फरवरी 2019 में ही एक और अभिनव पहल करते हुए शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिये गाँव के नवयुवकों की शाला में शत् प्रतिशत भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहला नवयुवक शालादूत समिति का गठन इस विद्यालय में किया है। ये नवयुवक शालादूत शाला विकास एवं शिक्षा गुणवत्ता सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।शाला परिसर में
ही बनाया बैडमिंटन और बॉलीबाल का कोट
शाला में खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शाला परिसर में शाला के शिक्षक राजेन्द्र जायसवाल और विकासखण्ड सूरजपुर के शिक्षक सहदेव राम रवि के सहयोग से बच्चों के लिये बैडमिंटन और बॉलीबाल का कोट भी तैयार किया गया है।
गौतम शर्मा की मेहनत अब रंग लाते दिख रखी हैं, क्योंकि जहाँ पहले इस विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती थी वो शत् प्रतिशत हो गई हैं। आज के परिदृश्य में यह विद्यालय पूर्णत: सुसज्जित हैं, जिसमें विद्यालय की दीवारें बोलती हुई प्रतीत होती हैं, विद्यालय का आंतरिक और बाह्य परिवेश रंग-रोगन युक्त एवं नवाचारों से परिपूर्ण हैं।
यहां बच्चों को नवाचार पद्धति के माध्यम से शैक्षिक गतिविधियां कराया जाता हैं, जिससे बच्चे खेल-खेल में स्वमेव पढऩे हेतु प्रेरित हो रहे हैं। गाँव का हर पालक शाला के गुणवत्ता सुधार में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत पम्पापुर के सरपंच और शाला प्रबंध एवं विकास समिति के अध्यक्ष बेचन सिंह से चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि गौतम शर्मा ने बहुत ही कम समय में इस स्कूल का कायाकल्प ही बदल दिया, उनके द्वारा किये गए कार्यो की जितनी भी प्रशंसा की जाये वो कम होगी। अब गांव के लोगों में सरकारी स्कूलों के प्रति फिर से विश्वास का संचार हुआ है।
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