रायपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों शनिवार को पद्मविभूषण से सम्मानित छत्तीसगढ़ की मशहूर पंडवानी गायिका तीजन बाई को बचपन से ही गायन का शौक था। 13 साल की उम्र में ही उन्होंने पहली प्रस्तुति दी थी।
महाभारत की कथा को पूरे वेग और अपनी संप्रेषण क्षमता के बल पर पंडवानी के जरिए तीजन बाई ने पूरी दुनिया में मशहूर किया था। तीजन बाई की आकर्षक गायन शैली और हाथों में सिर्फ एक तानपुरा लेकर प्रस्तुति देना लोगों को काफी आकर्षित करता रहा है।
तीजन बाई का जन्म 8 अगस्त 1956 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक के ग्राम अटारी में हुआ था। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में ही चन्दखुरी (दुर्ग) में अपने पहले कार्यक्रम की प्रस्तुति दी थी। इसके बाद उन्हें आदिवासी लोककला परिषद भोपाल की ओर से भारत भवन, भोपाल में कार्यक्रम देने का अवसर मिला।
तीजन बाई ने अब तक भारत के बड़े शहरों के साथ फ्रांस, मारीशस, बांग्लादेश, स्विटजरलैण्ड, जर्मनी, तुर्की, माल्टा, साइप्रस, मेसिया, टर्की, रियुनियान आदि देशों की यात्रा भी कर चुकी है। इन्होंने पहली विदेश यात्रा सन् 1985-86 में पेरिस के भारत महोत्सव के दौरान की। तीजनबाई को भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया था। 194 में उन्हें श्रेष्ठ कला आचार्य, 16 में संगीत नाट्य अकादमी सम्मान, 18 में देवी अहिल्या सम्मान, 199 में ईसुरी सम्मान और 2003 में पदमभूषण सम्मान से नवाज़ा गया।
27 मई, 2003 को डी. लिट् की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अलावा महिला नौ रत्न, कला शिरोमणि सम्मान, आदित्य बिरला कला शिखर सम्मान 22 नवम्बर, 2003 को मुम्बई में प्रदान किया गया।
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