रोहतक। नवजात बच्ची की मां ने रजामंदी से शादी से पहले संबंध बनाए। ऐसे में वह विक्टिम (पीडि़त) नहीं हो सकती, लेकिन उससे पैदा होने वाली बच्ची विक्टिम जरूर है। उसका इसमें कोई कसूर नहीं है। बच्ची का भविष्य अंधकार में लगता है। बच्ची की मां को उसके प्रति प्यार हो सकता है, लेकिन उसके पति से प्यार और लगाव की आशा नहीं की जा सकती।
यह टिप्पणी करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल की कोर्ट ने नवजात बच्ची को लेकर यह फैसला सुनाया है। बच्ची की मां ने शादी से पहले जिस युवक से संबंध बनाए 75 हजार रुपये वह बच्ची के नाम करेगा और तीन लाख रुपये डीएलएसओ (डिस्ट्रिक लीगल सर्विस अथॉरिटी) बच्ची को देगा।
यह था मामला
उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले की रहने वाली एक युवती वर्ष 2017 में रोहतक की एक कॉलोनी में अपने मामा के घर रहती थी। मई 2017 में युवती अपने घर चली गई और परिजनों ने उसकी शादी दिल्ली के एक युवक से कर दी। शादी के दो-तीन माह बाद युवती की हालत बिगड़ गई, जिस पर सास ने मेडिकल कराया।
मेडिकल में पता चला कि युवती पांच माह की गर्भवती है। इस पर युवती ने बताया कि शादी से पहले उसके साथ जान-पहचान के एक व्यक्ति ने दुष्कर्म किया था। इसके बाद जुलाई 2017 को अर्बन एस्टेट थाने में आरोपित के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करा दिया गया। इसी बीच अक्टूबर 2017 में युवती ने एक बच्ची को जन्म दे दिया। यह मामला तभी से कोर्ट में विचाराधीन था।
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