रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जिला खनिज न्यास, डीएमएफ के प्रभावी क्रियान्वयन पर एक दिवसीय परिचर्चा सह सम्मेलन के शुभारम्भ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे देश में महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती मनाई जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य महात्मा गांधी के सपनों के अनुरूप कार्य कर रहा है। छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरवा और बारी, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए महात्मा गांधी के आदर्शो के अनुरूप एक योजना है। उन्होंने छत्तीसगढ़ में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास एवं उत्थान के क्षेत्र में एक ऐसा मॉडल बनाने को कहा जो पूरे देश के अनुकरणीय हो।
परिचर्चा सह सम्मेलन का आयोजन नवीन विश्राम गृह संचालनालय भौमिकी तथा खनिकर्म द्वारा किया गया। समारोह के प्रारंभ में राज्य योजना आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ के सतत् विकास के उद्देश्यों को पूरा करने की दृष्टि से बनाए गए विजन डाक्यूमेंट 2030 का विमोचन किया। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस विजन डॉक्यूमेंट में जन घोषणा की भावनाओं और योजनाओं को शामिल किया गया है।
न्होंने कहा कि जिला खनिज न्यास और कार्पोरेट सोशल रिस्पोंसिबिलिटी सीएसआर के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा राशि एवं कार्य प्रभावित क्षेत्रों एवं वहां के नागरिकों के विकास एवं कल्याण के लिए किया जाना चाहिए जिससे वहां के नागरिकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए और जीवन स्तर सुधरे।
परिचर्चा सह सम्मेलन में प्रदेश के उद्योग मंत्री कवासी लखमा, अनुसूचित जातिए अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम, मुख्य सचिव ,सुनील कुजूर, अपर मुख्य सचिव सीके खेतान, प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, मुख्यमंत्री के सलाहकार सर्व प्रदीप शमा, एवं राजेश तिवारी, जिला पंचायतों के अध्यक्षगण खनिज संक्रियों से जुडे स्वयं सेवी संगठनों के प्रतिनिधिगण तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए आगे कहा कि जिला खनिज न्यास के कार्यों की जिलों से लेकर सदन तक काफी चर्चा और आलोचना की गई है। यह बात सामने आई है कि जिला खनिज न्यास डीएमएफ की काफी बड़ी राशि का कार्य किसके लिए किया जा रहा था, क्यों किया जा रहा और इसकी क्या आवश्यकता थी यह बातें स्पष्ट नहीं है।
इसके तहत कार्यों को स्वीकृत करने के लिए मांपदंडों को भी दरकिनार किया गया और गाइडलाईन का पालन नहीं करते हुए अपने हिसाब से एजेंडा बनाकर कार्य किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला कलेक्टरों को भवन आदि बनाने में संतुष्टि या उपलब्धि का अहसास हो सकता हो लेकिन अगर उनके कार्यों से प्रभावित क्षेत्रों के जीवन स्तर को ऊंचा उठानें को मदद मिलती है उन्हें आजीविका का साधन मिलता है और उनके स्वास्थ्य एवं शिक्षा को बेहतर बनाने का मौका मिलता है तो वे जीवन भर कलेक्टरों को याद करेंगे।
उन्होंने कहा जब फोन स्मार्ट बन सकता हैं तो घुरवा क्यों स्मार्ट नहीं बन सकता। उन्होंने कहा गौठान, कम्पोस्ट खाद और गोबर के सदुपयोग से कृषि लागत कम होगी। स्वच्छता बढेगी और रोजगार मिलेगा। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री कवासी लखमा, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह भी मौजूद थे।
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