जगदलपुर। नारायणपुर जिले के अंतर्गत माड़ क्षेत्र में स्थित तुलारगुफा में विराजमान शिवलिंग रहस्यमय ढंग से गायब हो गया है और इस शिवरात्रि में यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को उसके दर्शन नहीं हो सके।
श्रद्धालुओं ने इसकी जानकारी दंतेवाड़ा पहुंचकर पुलिस अधीक्षक को दी। उसके बाद ही यह पता चला कि इस गुफा में विद्यमान शिवलिंग गुफा में नहीं है। दंतेवाड़ा पुलिस जांच में जुट गई है कि यह नक्सली करतूत है या फिर तस्करों का कारनामा।
उल्लेखनीय है कि भगवान की पूजा-अर्चना करने के लिए महाशिवरात्रि के अवसर पर गुफा में पहुंचने की कठिन यात्रा कर जब श्रद्धालु पहुंचे तो उन्हें गुफा में निराशा का सामना यह देखकर हुआ कि गुफा के मुहाने पर पत्थर के चबूतरे पर करीब डेढ़ फीट ऊंचा शिवलिंग अपनी जगह पर नहीं है।
उसकी जगह स्थानीय पुजारी सहित ग्रामीणों ने भगवान शिव के प्रतीक के रूप में चांदी का छत्र स्थापित कर दिया है। श्रद्धालुओं ने इस शिवरात्रि पर शिवलिंग के न होने से इसकी जानकारी दंतेवाड़ा जिले के एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव को दी। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र नारायणपुर जिले में आता है, लिहाजा शिवलिंग गायब होने के बारे में नारायणपुर पुलिस को जानकारी हो सकती है।
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित यह गुफा दुर्गम क्षेत्र में है और वहां पहुंचने के लिए कोई भी पहुंच मार्ग नहीं है। यहां दंतेवाड़ा जिले के सातधार और बीजापुर जिले के गांव मंगनार से होकर पहुंचा जाता है। रास्ता पथरीला और करीब 40 किमी लम्बा है। रास्ते में 5 जगह छोटी-बड़ी नदियों को भी पार करना पड़ता है। यह क्षेत्र नक्सली आतंक से भी ग्रस्त है।
दो पहाडिय़ों के मध्य स्थित तुलार गुफा की छत से पानी का रिसाव साल भर होता रहता है। गुफा की छत से रिसते पानी से यहां चबूतरे पर रखे शिवलिंग का स्वत: ही अभिषेक होता रहा है। इस तुलार गुफा के बारे में मान्यता है कि यह दैत्यराज बाणासुर की साधना स्थली रही है।
इसी गुफा में बाणासुर भगवान शिव की साधना में लीन रहता था। शिवलिंग गायब होने के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि यह नक्सलियों की कार्रवाई हो सकती है। कुछ लोगों ने पुरातात्विक संपदा के तस्करों द्वारा की गई कार्रवाई बताया है।
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