अपने रंग के कारण ये सांप सुंदरता में बेमिसाल है। इस सांप में जहर नहीं होता। मूंगे की तरह दिखने वाले रंग की वजह से इसे रेड कोरल और और गोरखा रेजिमेंट में इस्तेमाल की जाने वाली खुखरी की तरह दांतों की बनावट के कारण इसे रेड कोरल खुखरी सांप कहते हैं। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में करीब 85 साल बाद एक दुर्लभ प्रजाति के रेड कोरल खुखरी सांप देखा गया है। दुधवा पार्क प्रशासन के कर्मचारी अपनी नियमित कॉम्बिंग में लगे हुए थे तभी जंगल से निकल रहे रेलवे ट्रैक के किनारे उन्हें एक दुर्लभ प्रजाति का लाल रंग का रेड कोरल खुखरी सांप दिखाई पड़ा।
दुधवा के जंगल में दुर्लभ प्रजाति के सांप दिखने की तस्वीर गश्त में लगे दुधवा पार्क कि कर्मचारियों ने खींच ली जिसके बाद उसका कई वन्यजीव प्रेमियों से उसका मिलान कराया गया।
दुधवा टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर का कहना है कि करीब 85 साल बाद यह दुर्लभ सांप दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में देखने को मिला है। 1936 में इस सांप को देखे जाने के बाद 2012 में दोबारा दिखाई दिया था लेकिन कोई तस्वीर सामने नहीं आई थी।
अपने रंग के कारण ये सांप सुंदरता में बेमिसाल है। इस सांप में जहर नहीं होता। मूंगे की तरह दिखने वाले रंग की वजह से इसे रेड कोरल और और गोरखा रेजिमेंट में इस्तेमाल की जाने वाली खुखरी की तरह दांतों की बनावट के कारण इसे रेड कोरल खुखरी सांप कहते हैं।
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