रायपुर। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में सुपर सीएम रहे अमन सिंह के अधीनस्थ चिप्स (छत्तीसगढ़ स्टेट डेटा सेंटर) के दफ्तर में ईओडब्लू ने छापा मार है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता घनश्याम राजू तिवारी ने इस छापे के बाद जारी बयान में कहा है कि, राज्य में चिप्स में भ्रष्टाचार का खजाना व्याप्त रहा, करोड़ो के टेंडर में हुई धांधली पर पूर्ववर्ती सरकार मौन रहकर भ्रष्टाचार का समर्थन करती रही, जिससे करोड़ो का भ्रष्टाचार होता रहा।
रमन सरकार के कद्दावर अधिकारी जो पिछले दिनों तक सुपर सीएम भी कहे जाते रहे है उनके विभाग में यह घोटाला अनेको संदेहों को पैदा करता रहा है। इस पूरे भ्रष्टाचार की शुरुवात नवंबर 2015 से मार्च 2017 के बीच 1459 टेंडरर्स के लिए एक ही ई-मेल आईडी का 235 बार उपयोग किया गया।
जबकि सभी के लिए यूनिक आईडी देने प्रावधान था। एक ही मेल आईडी का उपयोग 309 ठेकेदारों द्वारा लगातार किया गया। वहीं 17 विभागों के अधिकारियों ने 4601 करोड़ के टेंडर में 74 ऐसे कम्प्यूटर का इस्तेमाल निविदा अपलोडकरने में किया। जिनका उपयोग वापस उन्हीं के आवेदन भरने के लिए हुआ था।
पीडब्लूडी व जलसंसाधन विभाग ने 10 लाख से 20 लाख के 108 करोड़ के टेंडर प्रणाली द्वारा जारी न कर मैन्युअल जारी किए। जिन 74 कंप्यूटरों से टेंडर निकले उन्हीं से वापस भरे। ऐसा 1921 टेंडर में हुआ। इनकी कुल लागत 4601 करोड़ रुपए थी।
वहीं टेंडर के लिए 79 ठेकेदारों ने दो पैन नंबर का इस्तेमला किया था। एक पैन एक पैन पीडब्लूडी में रजिस्ट्रेशन और दूसरा ई-प्रोक्योरमेंट के लिए। ये आईटी एक्ट की धारा 1961 का उल्लंघन है। टेंडर से पहले टेंडर डालने वाले और टेंडर की प्रक्रिया में शामिल अधिकारी, एक दूसरे के संपर्क में थे। 5 अयोग्य ठेकेदारों को 5 टेंडर जमा करने दिए गए। ई-टेंडर को सुरक्षित बनाने के लिए चिप्स ने पर्याप्त उपाय नहीं किए।
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