हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के घर समेत लगभग 30 ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी चल रही है. हुड्डा फिलहाल घर के अंदर ही मौजूद हैं. यह छापेमारी गुरुग्राम जमीन अधिग्रहण मामले में की जा रही है. गुरुवार को ही सीबीआई ने इस केस में एफआईआर दर्ज किया था. सीबीआई की यह छापेमारी तब हुई है जब हुड्डा जींद विधानसभा उपचुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सिंह सुरजेवाला के पक्ष में प्रचार करने में व्यस्त थे.
हुड्डा की शुक्रवार को जींद के सेक्टर-9 में रैली होनी थी। सुबह 5 बजे ही सीबीआई ने छापा मारा। भूपेंद्र हुड्डा जींद रैली के चलते रोहतक आवास में ही ठहरे हुए थे। हुड्डा के घर की अलमारियों के ताले खोलने के लिए दो एक्सपर्ट बुलाने पड़े। ये करीब एक घंटा अंदर रहे। उन्होंने बताया कि करीब 6 से 7 अलमारियों की लॉक खोले गए।
सीबीआई के इस छापे को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को गलत तरीके से जमीन आवंटन के मामले से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधानसभा स्पीकर कुलदीप शर्मा ने आरोप लगाया है कि जींद उपचुनाव को देखते हुए भाजपा सरकार ने यह कार्रवाई कराई। इस मामले में हुड्डा का कोई लेना देना नहीं है, उन्हें तो सिर्फ बदनाम किया जा रहा है।
क्या है एजेएल मामला?
- एजेएल कांग्रेस नेताओं और गांधी परिवार के नियंत्रण वाली कंपनी है। कंपनी को हुड्डा के मुख्यमंत्री और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन रहते प्लॉट रि-अलॉट किया गया। मोतीलाल वोरा एजेएल के चेयरमैन रहे हैं।
- 24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर का प्लॉट नंबर सी-17 तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने एजेएल को अलॉट कराया था। कंपनी ने 10 साल तक कंस्ट्रक्शन नहीं किया तो 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट रद्द कर प्लॉट पर वापस कब्जा ले लिया।
- 28 अगस्त 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हुड्डा ने अफसरों के मना करने के बावजूद एजेएल को 1982 की मूल दर पर ही प्लॉट अलॉट करने की फाइल पर साइन कर दिए थे। इसी दौरान पंचकूला में एसोसिएट जर्नल लिमिटेड को जमीन आवंटित की थी।
- आरोप है कि एजेएल को यह जमीन आवंटित करने के लिए नियमों की अनदेखी की गई। इससे राज्य सरकार को करोड़ों रुपए के रेवेन्यू का नुकसान हुआ। ये प्लॉट 496 वर्ग मीटर से लेकर 1280 वर्ग मीटर तक के थे, जिसके लिए हुड्डा के पास 582 आवेदन आए थे। अलॉटमेंट के लिए 14 का चयन किया गया था।
- खट्टर सरकार ने सत्ता में आते ही इस मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी थी। विजिलेंस ने इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद सरकार ने मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।
A team of CBI officials is present at the residence of former Haryana Chief Minister BS Hooda in Rohtak, Haryana. pic.twitter.com/HwPB5TtvVz
— ANI (@ANI) 25 January 2019
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