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किसानों के लिए खुशखबरी…मिलेंगे प्रति हेक्टेयर 15 हजार सब्सिडी…

नई दिल्ली। किसानों को इनकम सपोर्ट के रूप में प्रति वर्ष प्रति हेक्टेयर 15 हजार रुपये दिए जा सकते हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक नीति आयोग ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए अपफ्रंट सब्सिडी का सुझाव दिया है।

आयोग ने सुझाव दिया है कि उर्वरक, बिजली, फसल बीमा, सिंचाई और ब्याज में रियायत सहित खेती-बाड़ी से जुड़ी हर तरह की सब्सिडी की जगह इनकम ट्रांसफर की व्यवस्था अपनाई जाए। तेलंगाना और ओडिशा ने किसानों को मदद देने के लिए कृषि कर्ज माफी के बजाय इनकम सपोर्ट का सिस्टम अपनाया है।

कई राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस सरकारों ने कर्ज माफी की घोषणा की थी। केंद्र ने कहा है कि ऐसी कर्ज माफी से असल समस्या खत्म नहीं होती है। एग्रीकल्चर सेक्टर को हर साल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की इनपुट सब्सिडी मिलती है।



देश में अगर खेती वाले रकबे को ध्यान में रखा जाए तो यह इनपुट सब्सिडी प्रति हेक्टेयर 15000 रुपये बनती है। कुछ एक्सपर्ट्स और पॉलिसीमेकर्स की दलील है कि सब्सिडी से हर व्यक्ति को फायदा नहीं हो पाता है। उनका कहना है कि कुछ मामलों में इसका प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा असर भी पड़ता है।

एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि ऐसा मैकेनिज्म बनाने का विचार है, जिससे कृषि क्षेत्र की परेशानी दूर हो, सब्सिडी वाले यूरिया और बिजली का दुरुपयोग रुके और किसानों को आर्थिक आजादी मिले। इससे सब्सिडी वाले फर्टिलाइजर को दूसरी इंडस्ट्रीज में ले जाने की हरकत भी रुकेगी।

अधिकारी ने कहा सरकार का यह मानना है कि खेती-बाड़ी से आमदनी बढ़ाने से ही बात बनेगी। इसके अलावा सीधे किसानों को ही पैसा देने से उन्हें फसल चुनने की आजादी मिलेगी और फर्टिलाइजर हो या बिजली, केवल सब्सिडी वाले आइटम्स को ध्यान में रखकर काम नहीं करना होगा।



पीएम नरेंद्र मोदी ने 2015 में कहा था कि सरकार साल 2022-23 तक किसानों की आमदनी दोगुना करना चाहती है। इसके लिए 10 प्रतिशत सालाना से ज्यादा की ग्रोथ रेट की जरूरत है, लेकिन कृषि उत्पादन की रफ्तार इससे पीछे चल रही है, जिसके कारण एग्रीकल्चरल इनकम में गिरावट आ रही है।

अनुमान यह है कि खेती-बाड़ी से आमदनी इतनी नहीं होगी कि खेती पर निर्भर 53 प्रतिशत परिवारों को गरीबी से उबारा जा सके क्योंकि उनके पास कम जमीन है। इनमें से कई परिवारों के पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है।

हालांकि केंद्र सरकार को ऐसे प्रोग्राम में भागीदारी के लिए राज्यों को राजी करना होगा। अभी कृषि सब्सिडी का आधा हिस्सा राज्य देते हैं। यह कम दाम पर बिजली और नहरों से सिंचाई सुविधा के रूप में भी होती है। फर्टिलाइजर सब्सिडी केंद्र की ओर से आती है। बीज पर सब्सिडी, केंद्र और राज्य मिलकर देते हैं।

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