कोण्डागांव। दलालों के चंगूल में फंसकर फरसगांव के चार युवक हैदराबाद पहुंच गए थे। उन्हें वहां काम करने के लिए 10 हजार रुपए में बेच दिया गया था। चारों युवक बड़ी मुश्किल से वहां से भागकर घर तो लौटे हैं। युवकों ने मामले की लिखित शिकायत श्रम अधिकारी से की है। युवकों ने बताया कि हैदराबाद में अभी भी प्रदेश के लगभग 40 मजदूर बंधक हैं।
मामले की जानकारी देते हुए विकासखंड फरसगांव के ग्राम पंचायत चुरेगांव निवासी रितेश कुमार मरकाम ने बताया कि पड़ोसी गांव भानपुरी के सराराटिकरा निवासी रितेश कोर्राम उसे और उसके ही गांव के श्यामसुंदर, जागेश्वर और सुरेंद्र भारद्वाज को काम दिलाने के नाम पर 4 जनवरी को हैदराबाद भेजा।
हैदराबाद भेजते समय उसने एक नम्बर दिया और कहा वहां पहुंच इस नंबर से संपर्क करने पर बस स्टैण्ड में उन्हें कोई लेने पहुंच जाएगा। रितेश के कहे अनुसार हैदराबाद बस स्टैंड पर उन्हें लेने विनोद नामक व्यक्ति पहुंचा भी।
तब तक इन चार दोस्तों को सब ठीक ही लग रहा था, इसके बाद उन्हें वेंकट सई कंपनी बरमापल्ली हैदराबाद ले जाया गया। यहां उन्हें सीमेंट ईट बनाना का काम दिखाया गया, जिसे करने से इन चारों ने मना करते हुए घर वापसी की बात कही।
घर वासपी की बात पर मैनेजर ने की मारपीट
जब इन चारों ने ईट बनाने के काम को मना किया तो, कंपनी के मैनेजर ने उनके साथ मारपीट करते हुए अभद्रता की। मौके पर मैनेजर ने उसने कहा, रितेश मरकाम, श्यामसुंदर, जागेश्वर और सुरेंद्र भारद्वाज के ऐवज में रितेश कोर्राम को दस-दस हजार रुपए दिए हैं। काम छोड़ कर जाना है तो सभी दस-दस हजार रुपए लौटाकर घर लौट जाए। परिस्थिति को देखते हुए चारों वहीं रुक गए। 2 दिन के बाद 7 जनवरी को वे किसी तरह वहां से भाग निकले।
मां ने भेजे 7 हजार, फिर भी नहीं हुई वापसी
रितेश ने उनके साथ हुए बदसलूकी के बारे में बताया कि जब वे हैदराबाद से वापस आना चाहते थे तो मैनेजर उनसे ददाल को दिए गए 10 हजार रुपए वापस मांगने लगा। इस बात को लेकर रितेश ने अपने घर पर मॉ के पास फोन किया।
परिजनों से सौदे-बाजी के बाद 6 हजार रुपए रिहाई के लिए और बस किराया के लिए एक हजार रुपए पर डिल पक्का हुआ। परिजनों ने तय सौदा अनुसार रकम तो भिजवा दिए, लेकिन उनकी रिहाई नहीं की गई। रिहाई नहीं होने से रितेश वहां से किसी तरह भाग निकले।
कम्पनी में महिला मजदूर भी बंधक
चारों युवकों की माने तो बरमापल्ली हैदराबाद की वेंकट सई कंपनी में 35 से 40 व्यक्ति अब भी बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे हैं। रितेश कुमार मरकाम की माने तो, बंधक मजदूर इसलनार, मर्दापाल व चिंगनार क्षेत्र के हैं। इनमें 3 युवतियां भी शामिल है, जिसने साथ शारीरीक शोषण का भी अंदेशा व्यक्ति किया गया है।
बांकि बंधक को छुड़ाने सप्ताह भर का समय और लगेगा
इस मामले पर जब जिला श्रम अधिकारी आरजी सुधाकर से चर्चा की गई तो, उनसे सकारात्कम जवाब नहीं मिला। उनके अनुसार आवेदक ने 10 जनवरी को लिखित शिकायत की है। इस मामले में कार्रवाई जारी है। अभी एक सप्ताह की देरी और होगी। आर्थिक व अन्य व्यवस्था करने में समय लग रहा है, जिस कारण दल रवाना नहीं किया गया है।
पांच दिन बाद घर पहुंचा चिन्तुराम का शव
सिंगनपुर निवासी चिन्तु राम नेताम समेत तीन युवकों को इसी गांव के विजय ने काम का लालच देकर बोरवेल वाहन में काम करने तमिलनाडु ले गया। यहां चिंटू राम का तबीयत खराब हो गई और ईलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।
मृत्यु की सूचना 3 दिन बाद परिवार को लगी। परिवार का आरोप है कि श्रम विभाग की लेट लतीफी के कारण 11 जनवरी को मृत हुए चिन्तु राम नेताम का शम 16 जनवरी की सुबह पांच दिन बाद तमिलनाडु से सिंगनपुर लाया गया।
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