कोंडागांव से अनुज कुमार। जिला अस्पताल आरएनटी के क्षय विभाग ने एक ऐसे मासूम में बलगम पॉजिटिव टीवी पाया है, जिसकी माता विक्षिप्ति हो चुकी है, और उसके अपने ही पिता ने भीख मांगने के लिए सड़क पर छोड़ दिया। भीख मांगते हुए वह मुम्बई व मुजफ्फरपुर के चमड़े की फैक्ट्री में काम करने लगा।
यही से उसे टीवी जैसी जानलेवा बिमारी हो गई। इसे किस्मत ही कहे कि, माता-पिता के लाड से दूर रहने के बाद भुख से तड़पते इस बच्चें की जान आज भी सलामत है। इसी हाल में जब वह कोंडागांव के रविन्द्र नाथ टैगोर जिला अस्पताल पहुंचा तो उसे बेहतर डाईट के साथ उपचार शुरू कर दिया गया है।
बलगम पॉजिटिव टीवी से ग्रसित मासूम सद्दाम (10) पिता मोहम्मद मुमताज बिहार प्रदेश के मुजफ्फरपुर क्षेत्र के एक गांव का रहने वाला है। उसके बारे में उसके मौसा मोहम्मद इसराइल (53) पिता स्व मोहम्मद हब्बी व मौसी सनीमा ने बताया कि, समीना की बहन सलीमा खातून की कुछ साल पहले दिमागी हालत खराब हो गई।
इसके बाद से उनका पूरा परिवार मानों उजड़ ही गया। पिता मोहम्मद मुमताज ने दूसरा निकाह कर लिया। और गरीबी से लाचार परिवार की बड़ी बेटी की गांव वालों ने मिलकर किसी कौमवाले से ही निकाह करवा दिया। बेटी के निकाह के बाद पिता ने भी अपना दूसरा घर बसा लिया।
अंत में इस परिवार का बेटा 10 वर्षिय मासूम सद्दाम बच गया। पिता ने अपनी अलग ही दूनिया बसा ली थी, जिसके चलते उसे घर से निकालते हुए उसके अपने पिता ने भिख मांग कर जींदगी जीने की सीख दे दी। मॉ के लाड से दूर, पिता के सीख के साथ घर से निकला 10 वर्षिय मासूम सद्दाम अब मुजफ्फरपुर के सड़को पर भीख मांगने लगा।
मात्र भीख मांगने से उसका गुजारा नहीं होता था, ऐसे में उसने चमड़े की एक निजी कम्पनी में काम करना शुरू कर दिया। नन्हीं सी जान चमड़े की गंदगी और बदबू आखिर कब तक सह पाता, आखिर कार उसके लंग्स में पानी भर गया, और वह ट्यूबरक्लोसिस से ग्रसित हो गया।
मौसी को आई दया कहते है ना जीसका कोई नहीं होता उसका खुदा होता है, इस मामले में भी ठीक ऐसा ही हुआ। पिता के घर से निकाला और चमड़े की कारखाने में काम करते हुए ट्यूबरक्लोसिस से ग्रसित होकर जीवन अंत की ओर बढऩे लगा। तब किसी भले मानूष ने सद्दाम के कोण्डागांव निवासी मौसा-मौसी मोहम्मद इसराइल-सनीमा को इस बात की सूचना दे दी।
फिर क्या था, मौसा इसराइल ने अपने एक बेटे को भेज सद्दाम को कोण्डागांव बुला लिया। रेयर केस में मिलता है बच्चों के बलगम पॉजिटिव टीवी किसी व्यस्क में ट्यूबरक्लोसिस (टीवी) या क्षय रोग का होना लाजमी है। लेकिन मेडिकल टर्म्स में 10 साल के मासूम में बलगम टीवी का पॉजिटिव होना थोड़ा चौकाने वाला है।
इसके बाद यदि बच्चे का डाईट मेंटेन नहीं हो, खुले में रहना खाना हो रहा हो साथ ही कोई केयर करने वाला भी ना हो तो ऐसे बच्चे को उपचार के दौरान विशेष देख रेख की आवश्यकता होती है। सप्ताह भर पूर्व जब सद्दाम के मौसा मोहम्मद इसराइल को उसकी सूचना मिली तो उन्होने उसे अपने पास बुला लिया।
कोण्डागांव पहुंचने के बाद 10 जनवरी को मासूम को जिला अस्पताल आरएनटी में स्वास्थ्य परीक्षण किया गया, जहां जांच के बाद टीवी बलगम पॉजिटिव पाया गया। फिलहाल उसकी देखरेख के लिए परिजन और स्थानीय प्रशासन कोई कमी नहीं रख रही। हवाईजहाज से मॉ को ले गए फादर यू तो सद्दाम मात्र 10 वर्ष का है और उसकी जूबान अभी साफ नहीं है।
वह तोतराते हुए जुबान से अपनी मॉ सलीमा खातून के बारे में बताया कि, वह कुछ साल पहले दिमागी तौर पर बीमार हो गई। इसके बाद कोई फादर आए और उसकी मॉ को हवाईजहाज से ईलाज के नाम से कही ले गए। सलीमा खातून के बारे में परिवार के किसी भी सदस्य को कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में जब संबंधित संस्था से भी पुछ ताछ की जाती है तो वे भी इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते है।
मासूम सद्दाम खान के मामले पर जिला क्षय नियंत्रण अधिकारी डॉ. सूरज सिंह राठौर ने बताया कि, सद्दाम को कल उसके मौसा जांच के लिए लेकर पहुंचे थे। उसके मौसा के अनुसार सद्दाम को भूख ना लगना, खाना नहीं खाना और लगातार वजन कम होना जैसी शिकायत थी।
इसके अलावा चर्चा के दौरान उसके मौसा ने बताया था कि, वह दूरस्थ शहरों में मेहनत मजदूरी कर जीवनयापन करता था। इस शिकायत पर उसका सीबी नेट के माध्यम से बलगम जांच किया गया, जहां टीवी पॉजिटिव पाया गया। टीवी पॉजिटिव पाए जाने पर टीबी पीडि़त बच्चों को दिए जाने वाला टीबी पीडियाट्रिक कोर्स शुरू किया गया है। इसके अलावा कुषोषण मुक्ति के लिए पोषक आहर का सप्लीमेंट भी दिया जाएगा, ताकि कुपोषण के साथ 6 माह में टीवी मुक्त हो जाए।
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