उत्तर गुजरात में एक महिला ने पति को नपुंसक बता कर अदालत की शरण ली थी लेकिन जांच के बाद अदालत ने उसे ही जेल की हवा खिला दी है।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, चार साल पहले महिला का विवाह हुआ था जिसके बाद से ही उसका पति से छोटी-छोटी बातों पर विवाद चल रहा था। हर दिन हो रहे विवाद पर महिला ने पति को नपुंसक बताया, अदालत पहुंची और तलाक मांगा।
महिला की शिकायत पर अदालत ने ससुरालपक्ष को नोटिस भी जारी कर दिया। लेकिन इस मामले में मोड़ तब आया जब समाज के लोगों ने महिला के पिता को समाज से बहिष्कार करने की चेतावनी देनी शुरू कर दी।
हाथ से मामला निकलता देख महिला और उसके परिवार वालों ने पति को नपुंसक बताने के दावे से खुद को पीछे हटा लिया। महिला ने खुद को सही बताने के लिए उप-कलेक्टर और पुलिस के समक्ष लिखित में अर्जी भी दी।
उसने अपनी अर्जी में कहा कि, मेरा पति नपुंसक है। मुझे उससे तलाक चाहिए। समाज के लोग मुझे तलाक ना लेने देने का विरोध कर रहे हैं और मेरे पिता को समाज से बहिष्कार करने और जुर्माना लगाने सहित एकतरफा फैसला ले सकते हैं। यदि उन्हें नहीं रोका गया तो मुझे और मेरे पिता को आत्महत्या करनी पड़ेगी।
महिला के आत्महत्या की बात कहते ही महिला को हिरासत में लेकर उसे थराद मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया। जहां उसे जमानत पर छुड़ाने के लिए कोई नहीं मिला। जिस कारण अदालत ने महिला को पालनपुर उप कारागार भेज दिया गया है। हुआ यूं कि महिला के ससुराल पक्षवालों ने शनिवार को समाज को इकठ्ठा किया। जहां समाज शिकायत करने वाली बहू और उसके पिता के सामाजिक बहिष्कार की तैयारी कर ली थी।
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