नई दिल्ली। फसल अवशिष्ट जलाने पर अंकुश लगाने के लिए किसानों पर 75 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना गतवर्ष किया गया। केंद्र सरकार के मुताबिक 75563 घटनाएं उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में सामने आईं।
इसके खिलाफ राज्य सरकारों द्वारा आर्थिक दंड यानी जुर्माना करने और मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई की गई। सर्वाधिक कार्रवाई पंजाब में फसल अवशिष्ट जलाने के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा की गई। इस दौरान 6193 मामलों की पहचान की गई और जुर्माना करके 19.02 लाख रुपये की वसूली की गई।
केंद्र सरकार के मुताबिक उत्तर भारत में स्थित सिंधु-गंगा नदी के मौदानी क्षेत्रों में ही फसल अवशिष्ट जलाने की प्रथा है। इस पर रोक लगाने के लिए केंद्र की ओर से कई कदम उठाए गए हैं और इस दौरान राज्य सरकारों द्वारा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली इस गतिविधि की निगरानी भी की जा रही है। जिन मामलों में पहचान हो जाती है, उनमें राज्य सरकारों द्वारा आमतौर पर जुर्माने की कार्रवाई की जाती है।
केंद्र द्वारा गतवर्ष और मौजूदा वर्ष में यूपी, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में फसल अवशिष्ट के निपटारे के लिए कृषि यंत्रों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए 1151.80 करोड़ रुपये केंद्रीय निधि से योजना चल रही है। इन यंत्रों पर किसानों को छूट मुहैया करायी जा रही है। साथ ही किसानों को पर्यावरण के प्रति जागरुक करने और कस्टम हायरिंग केंद्रों की स्थापना कर अवशिष्ट प्रबंधन सिखाया जा रहा है।
याद रहे कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इस मामले में उत्तर भारत के राज्यों को सख्त आदेश जारी किए थे। जबकि केंद्र सरकार को अवशिष्ट के प्रबंधन के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा था।
कृषि मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे तमाम कदमों और राज्यों की निगरानी के बावजूद फसल अवशिष्ट जलाने की घटनाएं बड़ी तादाद में सामने आ रही हैं। पिछले वर्ष ऐसी 75563 घटनाओं की सूचना यूपी, हरियाणा और पंजाब में प्रशासन को मिलीं। पंजाब के बाद हरियाणा में 3997 मामलों की पहचान की गई।
इस दौरान राज्य सरकार द्वारा पर्यावरण मुआवजे के तौर पर 31.82 लाख रुपये की वसूली की गई और 164 चूककर्ताओं के खिलाफ एफआईआर भी दायर की गईं। जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे 510 मामले चिन्हित किए और 26 लाख रुपये का जुर्माना वसूला है।
मंत्रालय के मुताबिक हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने भी हरियाणा और पंजाब में कोयला आधारित थर्मल पावर प्लाटों में कोयले के साथ 10 प्रतिशत तक बायोमास गुल्लों (पेलिट) का उपयोग किया जाएगा। इसका न्यूनतम प्रयोग 5 फीसद निर्धारित किया गया है।
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