नई दिल्ली। शक्तिकांत दास रिजर्व बैंक के 25 वें गवर्नर नियुक्त किए गए हैं। दास नोटबंदी के दौरान सरकार का अहम चेहरा रहे हैं। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है। मंगलवार शाम सरकार ने उनके नाम की घोषणा की। इनके नाम की घोषणा उर्जित पटेल के गवर्नर पद से इस्तीफे के ठीक 24 घंटे बाद किया गया है। इससे पहले सोमवार को उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था।
दास लंबे समय से सरकार से जुड़े रहे हैं और अहम पदों पर काम किया है। जब वह रिटायर हुए उस समय आर्थिक मामले के विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले वित्त मंत्रालय में सचिव और रेवेन्यू विभाग में भी अहम पदों पर काम कर चुके हैं। बजट विभाग के अहम चेहरा रहे हैं। 28 मई को जब वह रिटायर हुए तब उन्हें 15वें वित्तीय कमीशन और जी20 शेरपा का सदस्य बनाया गया।
मोदी सरकार का अहम चेहरा
मोदी सरकार के कई फैसलों में अहम चेहरा रहे हैं शक्तिकांत दास। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी में अहम भूमिका निभाई। नोटबंदी के मुद्दे पर उन्होंने सरकार का लगातार बचाव किया था। उनका कहना था कि नोटबंदी से कालाधन कम होगा और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा।
जीडीपी ग्रोथ पर नोटबंदी के असर को उन्होंने अल्पकालिक बताया था। जीएसटी लागू करवाने में भी उनकी बड़ी भूमिका थी। राजस्व सचिव रहते उन्होंने राज्यों के बीच जीएसटी पर सहमति बनाने की कोशिश की थी।
वह शक्तिकांत ही थे जिन्होंने नोटबंदी के दौरान एक बार से ज्यादा कोई बैंक से पैसा न बदलवा सके इसलिए उन्होंने मतदान के दौरान वाली स्याही का इस्तेमाह करने का सुझाव दिया था। जब नोटबंदी के दौरान कुछ लोग लंबे समय तक लाइन में खड़े रहने के बाद भी पैसा बदलने में सपल नहीं हो पा रहे थे तब उन्होंने यह क्रांतिकारी सुझाव दिया था।
इनकी नियुक्ति पर पूर्व आरबीआई गवर्नर सी. रंगराजन ने कहा-अच्छी बात है कि सरकार ने तत्काल फैसला लिया। देरी होने पर वित्तीय बाजार में इसकी प्रतिक्रिया दिखती। शक्तिकांत आर्थिक मामलों में लंबे समय से शामिल रहे हैं।
मुझे लगता है कि वह रिजर्व बैंक की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता को बरकरार रखेंगे। क्रेडिट सुइस इंडिया के अर्थशास्त्री नीलकंठ मिश्र ने कहा, शक्तिकांत सरकार में रहे हैं। उन्हें मालूम है कि सरकारी मशीनरी कैसे काम करती है।
14 दिसंबर को है आरबीआई बोर्ड की बैठक
आरबीआई बोर्ड की अगली बैठक 14 दिसंबर को होनी तय है। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने साफ कर दिया है कि बोर्ड की बैठक पूर्व निर्धारित समय 14 दिसंबर को होगी। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद इस बैठक को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं।
नये गवर्नर के सामने आर्थिक संकट से जुड़ी कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। इसमें एनबीएफसी में लिक्विडिटी संकट के तत्काल समाधान चुनौती अहम है। सरकार चाहती है कि इन्हें नकदी उपलब्ध कराने के लिए आरबीआई अलग व्यवस्था करे। अब तक आरबीआई का कहना था कि वह इकोनॉमी की जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त लिक्विडिटी उपलब्ध करा रहा है।
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