ग्रेटर नोएडा के एक गांव वालों को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से इतनी नाराजगी है कि उन्होंने गांव के बाहर एक बोर्ड लगाकर इन नेताओं को बता दिया है कि उनका इस गांव में आना मना है। दिलचस्प बात ये है कि इस गांव को बीजेपी सांसद और केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा ने गोद लिया हुआ है।
ग्रेटर नोएडा के गांव कचैड़ा वसाराबाद गांव के लोगों ने अपने गांव के बाहर एक बोर्ड लगाकर लिखा है कि ग्राम कचैड़ा वसाराबाद गौतमबुद्धनगर, सांसद महेश शर्मा द्वारा गोद लिया गया गांव है। बीजेपी वालों का इस गांव में आना मना है।
स्थानीय प्रशासन और एक रियल्टी ग्रुप के कर्मचारियों ने गांव के किसानों की खड़ी फसल बरबाद कर दी थी, इसलिए गांव वालों ने गुस्से में रविवार को ये बोर्ड लगाया। कचैड़ा गांव के किसान तेजिंदर नागर ने बताया कि पांच दिन पहले 25-30 खुदाई मशीनों से इन लोगों ने हमारी फसलों को खोद डाला, जो हमने छह महीने पहले बोई थीं। इस पूरे इलाके को 100 से ज्यादा पुलिस वालों ने घेर रखा था, ताकि हम उन्हें रोक न पाएं. जब हमने सवाल पूछा तो हमपर लाठी बरसाई गई।
गांव वालों का दावा है कि उन्होंने सांसद महेश शर्मा से भी बात करने की कोशिश की लेकिन उनका फोन ऑफ है और किसी चि_ी का जवाब नहीं दे रहे हैं, जिसके बाद उन्होंने गुस्से में ये बोर्ड लगाया है। बता दें कि गांववालों और इस रियल्टी ग्रुप में काफी लंबा विवाद है। इस ग्रुप ने 2005-06 में यहां जमीन खरीदी थी। किसानों का कहना है कि कंपनी ने तबसे यहां कोई काम शुरू नहीं किया था इसलिए किसान यहां अपनी फसल पहले की ही तरह उगा रहे थे लेकिन इस बार कंपनी वाले अचानक पहुंच गए और उनकी लाखों की फसल बरबाद कर दी। गांववालों का कहना है कि कंपनी ने उन्हें इसके पहले कोई नोटिस भी नहीं दिया था।
हालांकि बात महेश शर्मा तक पहुंची तो उन्होंने इसे विपक्षी पार्टी की हरकत बताई। उन्होंने कहा कि वो अपने गांव को अच्छे से जानते हैं और ये समाजवादी पार्टी के एक नेता का काम है। उन्होंने ये भी कहा कि उस नेता को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए राज्य से बाहर था। मैं किसानों के साथ हूं और उनके मुद्दे जल्द सुलझाउंगा।
शर्मा का आरोप समाजवादी पार्टी के नेता अतुल प्रधान पर है। प्रधान को सोमवार दोपहर ग्रेटर नोएडा के परी चौक से डिटेन किया गया था। वो कचैड़ा जा रहे थे।
स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि इस जमीन पर कानूनी रूप से उस ग्रुप का हक है। कई किसानों ने अपनी मर्जी से अपनी जमीन उन्हें बेच दी थी। उन्हें इसके लिए मुआवजा दिया गया था। अधिकारियों का कहना था कि इसके लिए पिछले तीन महीनों से किसानों से बातचीत चल रही थी।
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