अमृतसर में शुक्रवार को दशहरा मना रहे लोगों पर मौत बनकर आई टे्रन ने अब 61 की जान ले ली है। वहीं कई लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। एक झटके में विजयादशमी की खुशियां मातम में बदल चुकी। घटनास्थल पर 100 से 150 मीटर के दायरे में लाशें बिखर गईं।
एक चश्मदीद के मुताबिक, हादसे के पहले जौड़ा फाटक से अन्य दो ट्रेनें भी गुजरीं, तब लोग ट्रैक से हट गए। इसके बाद जब रावण जल रहा था, तब डेमू ट्रेन 74943 गुजरी। लोग पटाखों की आवाज के कारण हॉर्न नहीं सुन पाए और बचने का मौका नहीं मिला। रेलवे इतिहास में ऐसा भीषण हादसा कभी नहीं हुआ।
वहीं महानिदेशक रेलवे जनसंपर्क ने इस बात की पुष्टि की है कि हादसे के पहले जब ट्रेन यहां गुजरी उस वक्त लोग ट्रैक से हट गए थे। लेकिन जब दूसरी बार ट्रेन आई तो लोग समझ नहीं पाए और ये दर्दनाक हादसा हुआ।
दशहरे के मौके पर रावण दहन देखने के लिए 20 से अधिक वर्षों से लोग आसपास के गांवों से रेलवे पटरियों से महज 50 मीटर दूर जौड़ा फाटक पर खाली पड़े मैदान में एकत्रित होते रहे हैं। इस खाली प्लॉट पर 20 से अधिक वर्षों से रावण का पुतला जलाया जाता रहा है लेकिन इससे पहले ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
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