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छत्तीसगढ़: राजधानी स्थित पं.ज.ने. स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में 50,000 से ज्यादा कोरोना जांच संपन्न… लैब की उपलब्धि सराहनीय…

रायपुर: वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ जारी जंग में छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी स्थित पं.ज.ने.स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की सशक्त भूमिका प्रशंसनीय रही है। इस विभाग में कोविड-19 के आर.टी.पी.सी.आर. जाँच के लिये आई.सी.एम.आर. के मापदण्डों के अनुरूप उच्च स्तरीय बी.एस.एल.-2 लैब विकसित की गई है।

बहुत कम समय में इस लैब ने प्रतिदिन 1000 से 1200 कोरोना सैम्पल के जाँच की क्षमता हासिल कर ली है। कल तक के प्राप्त आँकड़ों के मुताबिक अब तक 50 हजार से अधिक (52,460) कोरोना सैम्पल की जाँच की जा चुकी है। इनमें से अब तक 1230 सैम्पल पॉजीटिव पाये गये हैं। ये सैंपल्स प्रदेश के विभिन्न जिलों के संदिग्ध व्यक्तियों से लेकर इस विभाग में जांच के लिये भेजे जाते हैं।

3 पालियों में लगभग 50-55 लोगों की टीम लगातार रात-दिन काम करती रहती है। इनमें से कुछ लोगों को घर जाने की भी इजाजत नहीं होती है। उनके रहने एवं खान-पान की व्यवस्था महाविद्यालय द्वारा की गयी है।

माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. निकिता शेरवानी के कुशल नेतृत्व में इस वायरोलॉजी लैब में कोरोना जांच हेतु कार्यरत टीम में माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर डॉ. व्ही. चटर्जी, डॉ. रूपम गहलोत, डॉ. निजा मोंगा, डॉ. सुचिता नेताम के अलावा वैज्ञानिक डॉ. जगन्नाथ पाल, डॉ. योगिता राजपूत, डॉ. आदित्य झा, डॉ. ऋषिकेश मिश्रा, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. आलोक साहू, कु. विजयलक्ष्मी जैन, श्रीमती अपर्णा साहू, डॉ. अभिज्ञान नाथ एवं डॉ. खुशबू भांगे अहम भूमिका निभा रहे हैं। सहयोगी टीम में डॉ. ईरीश ठाकुर और डॉ. रश्मिका दवे डाटा संकलन, रिर्पोट्स, रिकॉर्ड्स और आई.टी. संबंधित कार्यों में सक्रिय योगदान दे रहे हैं।

इस टीम में 10-12 डाटा एन्ट्री ऑपरेटर आई.सी.एम.आर. पोर्टल, आई.डी.एस.पी. एवं स्वास्थ्य विभाग को सभी रिपोर्ट्स और संबंधित जानकारियां तुरंत प्रेषित करते हैं। इनके अलावा मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट्स और लैब अटेण्डेन्ट की भूमिका बहुत खास है। कोरोना के अलावा समय-समय पर आने वाले स्वाईन फ्लू (एच1एन1) की भी जाँच की जा रही है।

विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल ने कोरोना संघर्ष में अपने विभाग में कार्यरत इन सभी अधिकारियों-कर्मचारियों के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना करते हुये कहा कि इस तरह की संस्थागत गतिविधियाँ तीन मूलभूत सिद्धांतों पर अमल करके ही सफलतापूर्वक किये जा सकते हैं, ये हैं – सामूहिक उत्तरदायित्व, टीम भावना और श्रम विभाजन (Collective Responsibility, Team Spirit and Division of Labour) ।

निष्ठा, लगन, ईमानदारी और समर्पण की भावना के साथ ही ऐसे कार्य सम्पन्न किये जा सकते हैं। डॉ. नेरल ने बताया कि उनके विभाग द्वारा प्रदेशभर के मेडिकल ऑफिसर्स एवं टेक्नीशियन्स को सीधे क्लासरूम प्रशिक्षण या विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाईन प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इसमें मुख्यतः सैम्पल्स लेने, सुरक्षित रखने व जाँच केन्द्रों तक पहुँचाने और जैव-सुरक्षा के सभी तौर-तरीकों का प्रशिक्षण दिया गया।

छ.ग. प्रदेश में कोरोना एंटीजन आधारित रेपिड टेस्ट से भी जाँच प्रारंभ किये जाने हैं। इसका प्रशिक्षण भी डॉ. नेरल द्वारा 06 बैचेस में प्रदेश के सभी लैब टेक्नीशियन्स को ई-प्रशिक्षण के माध्यम से दिया गया.

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