सुप्रीम कोर्ट ने आज भारतीय न्यायिक व्यवस्था में ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने अदालतों की कार्यवाही को लाइवस्ट्रीम करने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से ही होगी। इसके लिए कुछ नियमों का अनुसरण करने की जरूरत होगी। कोर्ट की कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग से भारत की न्यायिक व्यवस्था में भरोसा बढ़ेगा।’
कोर्ट ने कहा कि अदालती कार्यवाही की लाइवस्ट्रीमिंग से जनता का हित जुड़ा हुआ है, इससे कोर्ट की प्रक्रियाओं में भी पारदर्शिता आएगी। इस केस की सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम एम खानविल्कर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने 24 अगस्त को इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। बेंच का कहना था कि वह अदालतों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए ‘खुली अदालत यानी ओपन कोर्ट’ की परिकल्पना को लागू करना चाहती है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि इस परिकल्पना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाना चाहिए और उसकी सफलता-असफलता के सामने आने के बाद ही ये तय किया जाना चाहिए कि इसे लागू किया जाए या नहीं।
बेंच ने कहा था कि ‘हमें लाइव स्ट्रीमिंग में कोई दिक्कत नहीं है। चलिए इसे शुरू करते हैं और देखते हैं कि कैसा जाता है। हम अभी पायलट प्रोजेक्ट ही शुरू कर रहे हैं और अभी कोई फैसला नहीं दे रहे हैं। वक्त के साथ देखेंगे। हम सब कुछ एक साथ नहीं कर सकते।’ कोर्ट ने इस मांग को वक्त की जरूरत बताया था।
सुनवाई के दौरान इस एनजीओ का पक्ष रख रहे वकील विराग गुप्ता ने सुझाव दिया कि कोर्ट की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने या कोई चैनल लाने की बजाय वीडियो रिकॉर्डिंग कर कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाए।
यह भी देखें : राजनीतिक दल अपनी वेबसाइटों पर उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों को प्रकाशित करें: Supreme Court
Add Comment