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मंकीपॉक्स संक्रमण से लड़ने के लिए भारत तैयार… ICMR ने बचाव के दिए सुझाव…

मंकीपॉक्स संक्रमण से लड़ने के लिए भारत तैयार है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक अधिकारी अपर्णा मुखर्जी ने कहा कि मंकीपॉक्स अमेरिका, यूरोप समेत कई देशों में तेजी से फैल रहा है.

हालांकि, भारत में अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों को असामान्य लक्षणों पर भी कड़ी नजर रखने पर जोर दिया है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका मंकीपॉक्स से संक्रमित देशों की यात्रा का इतिहास रहा है.

संक्रमण एक से दूसरे इंसान में फैलता है

अपर्णा मुखर्जी ने कहा कि दाने के साथ तेज बुखार, शरीर में दर्द, बहुत अधिक लिम्फैडेनोपैथी, बड़े लिम्फ नोड्स जैसे असमान्य लक्षण होने पर जांच करानी चाहिए.

मंकीपॉक्स बहुत करीबी संपर्क से फैलती है. उन्होंने कहा कि लोगों को इस बिमारी से घबराना नहीं चाहिए और मंकीपॉक्स पॉजिटिव पाए जाने पर चिकित्सकों से जल्द संपर्क करनी चाहिए.

बच्चों और बुजुर्गों को संक्रमण का खतरा

उन्होंने कहा कि बच्चे मंकीपॉक्स संक्रमण को लेकर अधिक संवेदनशील हैं. वहीं, बुजुर्गों को स्मालपॉक्स (चेचक) का टीका लगाया जाएगा.

जिन लोगों को 1980 के दशक के बाद स्मालपॉक्स का टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें इस संक्रमण से ज्यादा खतरा हो सकता है. उन्होंने आगे कहा कि इस बिमारी का बच्चों और बुजुर्गों के लिए समान उपचार है.

इन देशों में फैला संक्रमण

संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फांस जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, कैनरी द्वीप, इजराइल और स्विट्जरलैंड सहित कुछ गैर स्थानिक देशों में मंकीपॉक्स संक्रमण को रिपोर्ट किया गया.

आईसीएमआर ने इन देशों से भारत आने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखने के साथ साथ लोगों के संपर्क में न आने की अपील की है. वहीं, भारत में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्वास्थ्य संगठनों को प्रकोप पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है.

मंकीपॉक्स से बचाव

आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा निर्देश में कहा गया है कि बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क, मृत या जीवित के संपर्क से बचाना चाहिए. बंदर सहित स्तरनाधियों जैसे जंगली जानवरों और दूषित सामग्री के संपर्क से बचना चाहिए.

वहीं, मंकीपॉक्स के लक्षण होने पर संक्रमित त्वचा को छूने से बचना चाहिए. साथ ही कॉर्टिसोन वाले उत्पादों से बचना चाहिए. लेकिन सावधानी बरतते हुए चिकित्सकों से संपर्क करना चाहिए. आईसीएमआर ने दिशा निर्देश में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को भी सलाह दी है.

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