छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी के नये भवन का लोकार्पण
रायपुर। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने कहा है कि न्याय प्राप्त करना देश के सभी नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है। इसके लिए न्यायिक अधोसंरचनाओं का होना भी जरूरी है। भौतिक अधोसंरचना की दृष्टि से भवन तो महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इसके साथ-साथ बौद्धिक अधोसंरचना की भी जरूरत होती है। उन्होंने न्यायिक अधिकारियों में ज्ञान और कौशल की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि प्रत्येक न्यायाधीश को संविधान के दायरे में रहते हुए संवेदनशील होना चाहिए।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा आज छत्तीसगढ़ के संभागीय मुख्यालय बिलासपुर में स्थित उच्च न्यायालय परिसर में छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के नये भवन का लोकार्पण करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। श्री मिश्रा ने न्यायिक अकादमी के लिए नया भवन उपलब्ध होने पर खुशी जतायी और कहा कि अकादमी में जजों को न्यायिक प्रशिक्षण की बेहतर सुविधा मिलेगी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने भारत के मुख्य न्यायाधिपति दीपक मिश्रा का परिचय देते हुए उन्हें कर्मयोगी, कवि, लेखक और चिंतक बताया।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर कहा कि लोकतंत्र में सुशासन की परिकल्पना को साकार करने के लिए न्याय प्रक्रिया में भी निष्पक्षता, पारदर्शिता और तत्परता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में न्यायिक प्रशासन को हर प्रकार की बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। न्यायिक प्रशासन निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों सहित प्रदेश के वन और विधि मंत्री महेश गागड़ा, नगरीय प्रशासन और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, राज्य के मुख्य सचिव अजय सिंह, विधि विभाग के प्रमुख सचिव आरएस शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक केएल चरयाणी, छत्तीसगढ़ सरकार के महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा, बिलासपुर संभाग के आयुक्त टीसी महावर और राज्य अधिवक्ता परिषद के अनेक पदाधिकारी तथा सदस्य और बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
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