रायपुर। डॉ भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर में 25 अगस्त से 8 सितंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा शिविर का शुभारंभ प्रदेश के कृषि एवं सिंचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने किया। इस दौरान उन्होंने आंखों के मरीजों को चश्मे का वितरण किया। श्री अग्रवाल ने कहा कि वैसे तो शरीर का हर अंग महत्वपूर्ण होता है परंतु आंखों में रौशनी न हो तो जिंदगी बेरंग सी हो जाती है। सृष्टि की कल्पना तक नही की जा सकती। उन लोगों का जीवन कठिनाईयों से भरा होता है। ऐसे में अपने सामाजिक दायित्यों का निर्वहन करते हुए हमें स्वयं नेत्रदान का संकल्प लेते हुए औरों को भी नेत्रदान के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि रक्तदान और नेत्रदान, ईश्वर की सेवा से कम नहीं है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रतिवर्ष मृत होने वाले डेढ़ करोड़ लोगों में डेढ़ लाख लोगों का नेत्रदान नही हो पाता है। 90 प्रतिशत लोगों को पता नहीं कि आंख दान करने के लिए किनसे संपर्क करना है। हमें राजनैतिक-सामाजिक कार्यक्रमों में भी नेत्रदान का संदेश प्रचारित करना चाहिए। इस पखवाड़े का प्रचार स्टिकर आदि लगाकर लोगों को जागरूक करें।
अंधत्व निवारण अधिकारी सुभाष मिश्रा ने बताया कि कार्निया में सफेदी की वजह से आंखों की रौशनी खत्म होती है। ऐसे 1069 लोगों की सूची हमारे पास है। इस वर्ष 378 नेत्रदान प्राप्त हुए। इस साल 500 लोगों का आई ट्रांसप्लांट का लक्ष्य हमने रखा है। आई बैंक से भी हम कार्निया सप्लाई करा रहे है। उन्होंने बताया कि राज्य में 5 आई बैंक, 2 ट्रांसप्लांट सेंटर है। उन्होंने बताया कि समाज में भ्रांतियां फैली हुई है की नेत्रदान के पश्चात कई बार नेत्र उपयोग में भी नहीं लाया जाता है। परंतु ऐसा नहीं है। स्वस्थ नेत्र हम निश्चित ही ट्रांसप्लांट करते हंै। अगर किसी नेत्र में कुछ कमी भी है तो वह अनुपयोगी नहीं रहता। हम किसी दुर्घटना में घायल हुए व्यक्ति की आंखों में उसका उपयोग कर लेते हैं या फिर शोध के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।श्री मिश्रा ने बताया कि श्रीलंका में सबसे ज्यादा आई ट्रांसप्लांट होता है। इस अवसर पर डॉ.विवेक चौधरी, डॉ आभा सिंह, डॉ निधि पांडे, डॉ निधि ग्वालरे, सेवा सामाजिक संस्थान रंजीत अग्रवाल, मनीष शर्मा आदि उपस्थित थे।
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