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एक मां की ऐसी समझदारी से बची नवजात की जान…

पुणे। महाराष्ट्र के पुणे में एक मां ने समझदारी से अपने नवजात की जान बचा ली। सांस लेने में दिक्कत पर मां नवजात को माउथ टू माउथ ब्रीथ (मुंह से सांस) देती रही और पिता कार चलाकर अस्पताल पहुंचा। घर से अस्पताल और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में पहुंचने में उन्हें एक घंटे का समय लगा। इस दौरान मां लगातार अपने बच्चे को सांस देती रही। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने बच्चे का इलाज किया और अब वह पूरी तरह से सुरक्षित है। डॉक्टरों का कहना है कि मां की समझदारी से ही बच्चे की जान बची है। अगर वह ऐसा नहीं करतीं तो बच्चा सडन इंफैन्ट डेथ सिंड्रॉम का शिकार हो सकता था।


आईटी प्रफेशनल स्नेहशंकर झा 11 जुलाई को ऑफिस से अपने घर वाघोली पहुंचे। वह सोने से पहले ईमेल चेक कर रहे थे तभी उन्होंने अपने नवजात शिवांश की अजीब आवाज सुनी। इसी दौरान स्नेहशंकर की पत्नी शिवानी की भी आंख खुल गई। उन्होंने महसूस किया कि उनके बेटे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
शिवानी ने बताया, मैंने घड़ी देखी। रात का साढ़े बारह बजा था। शिवांश की सांस टूट रही थी। मुझे इमरजेंसी समझते देर नहीं लगी। मैंने बिना एक मिनट बर्बाद किए उसे गोद में उठाया और मुंह से सांस देने लगी। इसके साथ ही लगातार उसकी पीठ थपथपाती रही।
स्नेहशंकर ने कार निकाली और वे शिवांश को लेकर पास के अस्पताल पहुंचे। इस दौरान शिवानी अपने बेटे को लगातार सांस देती रही। हम वाघोली में रहते हैं। हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था हमें अहमदनगर रोड पहुंचने के लिए बकोरी रोड ही पकडऩा पड़ा। उस रास्ते पर बड़े-बड़े गड्ढे थे जिससे हमें अस्पताल पहुंचने में ज्यादा समय लग रहा था

उन्होंने बताया, हम एक अस्पातल पहुंचे लेकिन वहां सुविधाएं न होने के कारण शिवांश को भर्ती नहीं किया गया। बिना देरी हम लोग उसे लेकर खादरी रोड के अस्पताल पहुंचे। रात का डेढ़ बज चुका था। बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही थी। उसका शरीर नीला पड़ रहा था। शिवानी बिना कुछ सोचे समझे लगातार शिवांश को सांसे दे रही थी।
अस्पताल के डॉक्टर मुबशिर शाह ने बताया, शिवांश नीला पड़ चुका था। उसकी पल्स और दिल की धडक़न भी बहुत धीमी हो गई थी। उसे तुंरत वेंटीलेटर पर रखा गया। लंबे इलाज के बाद आखिर शिवांश पूरी तरह से ठीक हो गया।

डॉ. तुषार पारिख ने बताया, शिवांश की जिंदगी बचाने में उसकी मां का सबसे बड़ा रोल रहा। शिवानी और स्नेहशंकर ने सही समय पर सही फैसला लिया और शिवांश की सांस बरकरार रखीं। उनके कारण ही हम भी बच्चे को बचाने में सफल रहे।

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