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महंगाई के लिए बहाना… यूक्रेन-रूस युद्ध से खाने के तेल की कीमत तो बढ़ी… पर कारोबारियों ने चावल, गेहूं, आलू-प्याज को भी नहीं छोड़ा…

रूस-यूक्रेन युध्द का असर देश में सबसे ज्यादा खाद्य तेलों पर हो रहा है, लेकिन व्यापारियों ने इसकी आड़ में दूसरी खाद्य सामग्रियों की कीमतें भी बढ़ दी है। मार्च मे हीं तेल की कीमत प्रति किलो 20 रुपए तक बढ़ गई है। युद्ध के पहले जो तेल 2200 रुपए टीन था, अब 2560 रुपए हो गया है। 20 रुपए किलो बिकने वाला आलू-प्याज थोक में 25 रुपए पहुंच गया है। अच्छे गेहूं की कीमत 50 रुपए से ज्यादा हो गई। चावल भी 2 से 10 रु. महंगा हो गया है।

बाजार में अचानक बढ़ी महंगाई ने लोगों को परेशान कर दिया है। इस मामले में खाद्य विभाग तक शिकायतें पहुंची, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। क्योंकि कीमत कंट्रोल करने के लिए खाद्य विभाग के अफसरों के पास कोई नियम या सिस्टम ही नहीं है। कौन सी चीज किस कीमत पर मिलेगी इसे व्यापारियों का बड़ा सिंडिकेट ही तय कर रहा है।

कारण ये कि अब रेट को कंट्रोल करने का सरकारों के पास कोई कानून नहीं, इस पर केंद्र ही बना सकता है नियम

हर बार बढ़ जाती है कीमत, इससे पहले साजिशन फैलाई जाती है अफवाह

कोरोना की पहली लहर में नमक की सप्लाई बंद होने वाली है कहकर दुकानदारों ने एक किलो नमक 100 रुपए किलो तक में बेचा।

लॉकडाउन में पान मसाला, गुटखा, तंबाकू की बिक्री 10 गुना ज्यादा कीमत पर की गई। 10 रु. का गुड़ाखू 150 से ज्यादा में बिका।

पिछले साल की शुरुआत में महाराष्ट्र के नासिक समेत कई जिलों में भारी बारिश के बाद प्याज की कीमत 60 रु. किलो तक पहुंची।

दिसंबर 2021 में लॉकडाउन की अफवाह से एक बार फिर कीमतें बढ़ी। जनवरी 2022 तक महंगी कीमत पर सामान खरीदना पड़ा।

यूक्रेन युध्द की वजह से तेल की कीमत 15 से 25 रुपए किलो तक बढ़ गई। अब आलू-प्याज और चावल-गेहूं भी महंगा कर दिया है।

ऐसे बढ़ती गई कीमत
खाद्य सामग्री फरवरी मार्च
राइस ब्रान 140 155
सोयाबीन 150 165
सनफ्लावर 150 170
सरसो 150 180
वनस्पति 120 140
तेल टीपा 2200 2550
देशी घी 360 420

एक्सपर्ट व्यू: आरसी गुलाटी, रिटायर खाद्य नियंत्रक
सब नियम पहले ही खत्म कर दिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाना चाहिए
सबसे पहले 1977 में केंद्र सरकार ने मूल्य प्रदर्शन एवं मूल्य नियंत्रण आदेश लागू किया था। इस अधिनियम से खाद्य सामग्री की कीमतों पर नियंत्रण रखा जाता था। 2002 में लाए गए हटाना अधिनियम के तहत इस कानून को खत्म कर दिया गया। 2009 में दाल, तेल और शक्कर की कीमत पर नियंत्रण के लिए अनुसूचित वस्तु व्यापारी अनुज्ञापन आदेश लागू किया गया। इसके तहत स्टाक सीमा लागू कर कीमत पर नियंत्रण किया जाने लगा। लेकिन केंद्र सरकार ने इस कानून को भी 2016 में खत्म कर दिया। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश का कोई भी राज्य केंद्र सरकार की अनुमति के बिना आवश्यक वस्तु अधिनियम में कानून नहीं बना सकता है।

फिलहाल कीमत पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार को ही कोई नया कानून बनाना होगा। लोगों के हितों के लिए राज्य सरकारें केंद्र सरकार पर कानून बनाने के लिए लगातार दबाव बना सकती है।

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