हाथियों के उत्पात से हो रहे नुकसान को लेकर चरणदास महंत ने लिखा मुख्यमंत्री रमन सिंह को पत्र
रायपुर। पूर्व केंद्रीयमंत्री एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने अपने संसदीय क्षेत्र कोरबा के अंतर्गत हाथियों से हो रही परेशानियों को लेकर मुख्यमंत्री रमन सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि रामपुर विधानसभा के लगभग 96 गांव संवेदनशील, मध्यम संवेदनशील, अति संवेदनशील की श्रेणी में आते है, वहां लगातार विगत कई वर्षो से हाथियों के उत्पात के कारण फसलें बर्बाद हो रही है। मकान क्षतिग्रस्त हो रहे है एवं जनहानि लगातार जारी है।
उल्लेखनीय है कि जहां सन् 2000 में हाथियों की संख्या केवल 4 थी वह 2017 में लगभग 200 हो चुकी है। हाथियों के उत्पात के कारण आज तक निवास कर रहे 50 लोग मौत के शिकार हो चुके है, 45 लोग घायल हो चुके है, 350 मकान क्षतिग्रस्त हुए है एवं लगभग 35000 एकड फसल बर्बाद हो चुकी है, इसमें से 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान विगत 4 वर्षो में हुआ है, हाथी अब इस क्षेत्र में अप्रवासी नहीं रहे है।
दिनांक 4.04.2008 को उक्त क्षेत्र को एलीकेन्ट रिजर्न घोषित करने संबंधि प्रस्ताव (नोटीफीकेशन फार लेमरू एलीकेन्ट रिजर्न ) को विस्तृत रिपोर्ट नक्शे सहित वन संरक्षक, बिलासपुर द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वनप्राणी प्रबंधन एवं जैव विविधता) को भेजा गया था जिसके पांच दिन बाद ही 09.04.2008 को स्थानीय कोल उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने की दृष्टिकोण से पूर्व अंकित स्थान बदलकर दूसरा प्रस्ताव भेजा गया जो कि आबादी क्षेत्र के लिये था। साथ ही वन संरक्षक, बिलासपुर द्वारा वन मण्डलाधिकारी कोरबा, रायगढ, अंबिकापुर को मिलाकर हाथियों के उत्पात से हो रहे नुकसान की रोकथाम के लिये एक समिति बनाई गई, जिसकी रिपोर्ट 3 माह में देने की बात कही गई थी, जिस पर आज दो वर्ष बीत जाने पर भी कोई कार्यवाही नही हुई है।
लगातार वनों में वृक्षों की हो रही कटाई से हाथियों का रूख आबादी क्षेत्र की ओर हो गया है। जिससे स्थानीय जन जीवन बुरी तरह प्रभावित है। सालबीज, तेदूंपत्ता, महुआ, चिरोंजी का व्यवसाय ठप्प पडा हुआ है। छात्र-छात्राओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है। स्थानीय निवासी आतंक के साये में जीवन व्यतीत कर रहे है। रोकथाम के लिय शासन द्वारा अव्यवस्थित तरीके से करोडों रूपये खर्च किये गये है, जिसका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ पाया है। रामपुर क्षेत्र के निवासियों के जानमाल एवं फसल की सुरक्षा एवं पूर्व में हुये नुकसान के उचित मुआवजे की अपेक्षा क्षेत्र की जनता राज्य सरकार से करती है।
जारी पत्र में श्री महंत ने लिखा है कि इस संबंध में निम्न प्रस्तावों पर मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा जिनमें हाथी अभ्यारण बनाने की दिशा में तेजी से काम कर पूर्ण किये जाये, सुरक्षित स्थान चयनित कर बडे पैमाने पर हाथियों का चारापानी की व्यवस्था की जाये, जिससे हाथियां का रूख गांव की ओर न हो, हाथियों से हो रही जनहानि मुआवजा 4,00,000 से 15,00,000 रूपय किये जाए जन घायल, मकान क्षतिग्रस्त, फसल क्षति की राशि बढ़ाई जाए। फसल हानि पर 25,000 से 30,000 प्रति एकड किया जाये। ऐसी वन भूमि जिस पर किसान खेती करता है, पट्टा नही है, उसे कृषि भूमि पट्टा मानकर मुआवजा क्षतिपूर्ति की श्रेणी में रखा जाये, अधिकतर देखने को मिलता है कि फसल, मकान नुकसानी की सही नाप जोख नही की जाती, अत: नाप जोख में स्थानीय प्रतिनिधि को शामिल किया जाये। जनहानि से पिडित परिवार को नौकरी दी जाये, ऐसे तेंदूपत्ता संग्रहणकर्ता तथा वन उपज संग्रहणकर्ता जो हाथियों के आतंक से संग्रहण नही कर पाये है, पिछले वर्ष की तुलना में कम वन उपज इकट्ठा किये है, उनको अन्तर की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान किया जाये, जमवंत परियोजना की दिशा में जल्द कार्य किये जाये, फसल क्षतिपूर्ति के स्लेब की राशि को बढ़ाया जाये, इन क्षेत्रों की वनों की कटाई पर प्रतिबंध लगाया जाये। श्री महंत ने पत्र के माध्यम से मुख्मंत्री से आग्रह किया है कि भविष्य में हाथियों के उत्पात से रामपुर क्षेत्र की जनता के जानमाल एवं फसलों की सुरक्षा एवं लेमरू एलीकेन्ट रिजर्न स्थापित किये जाने के संबंध में अतिशीघ्र ठोस निर्णय लिये जाने समुचित निर्देश जारी करने का कष्ट करेंगे।
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