नई दिल्ली। राज्यसभा उपसभापति चुनाव में एनडीए की ओर से जेडीयू उम्मीदवार हरिवंश ने कांग्रेस प्रत्याशी बीके हरिप्रसाद को करारी मात दी है। विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या होने की बाद भी कांग्रेस का चुनाव हार जाना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है, जबकि एनडीए बहुमत से कम होने के बाद भी जीत हासिल करने में कामयाब रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ये पांच गलतियां बीके हरिप्रसाद के हार की कारण बनीं।
1. उम्मीदवार के चयन में देरी
राज्यसभा उप-सभापति के चुनाव के ऐलान के बाद कांग्रेस उम्मीदवार के चयन को लेकर कश्मकश में उलझी रही, जबकि एनडीए ने चुनाव घोषणा के साथ अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। विपक्ष में उम्मीदवार को लेकर नामांकन के दिन तक माथापच्ची होती रही।
विपक्ष की ओर से पहले एनसीपी की वंदना चव्हाण का नाम सामने आया। इसके बाद नामांकन के दिन आखिरी समय पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पत्ते खोले और बीके हरिप्रसाद के नाम का ऐलान किया। कांग्रेस का जब तक उम्मीदवार घोषित होता तब तक विपक्ष के कई दलों से एनडीए उम्मीदवार को समर्थन आश्वासन दे चुके थे। ऐसे में इसके लिए सीधे राहुल गांधी को जिम्मेदारा माना जा रहा है।
2. यूपीए नहीं कांग्रेस की बनी लड़ाई
राज्यसभा उप-सभापति के पद के लिए कांग्रेस की ओर बीके हरिप्रसाद के उतरने से लड़ाई विपक्ष की न रहकर कांग्रेस की व्यक्तिगत बन गई। इसलिए कांग्रेस की ओर से ही समर्थन जुटाने की कोशिश की गई, लेकिन यूपीए के बाकी घटक दल सिर्फ वोट देने तक ही सीमित रह गए, जबकि एनडीए की ओर से जेडीयू के हरिवंश उम्मीदवार थे। बावजूद इसके पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सहित एनडीए के सहयोगी दलों ने विपक्ष के कई दलों से समर्थन के लिए बातचीत की।
3. एआईएडीएमके, टीआरएस, बीजेडी का समर्थन
राज्यसभा के उप-सभापति के चुनाव जीतने के लिए जिस तरह से एनडीए सक्रिय रही। कांग्रेस में उस तरह सक्रियता नहीं दिखा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कहीं नजर नहीं आए। इसी का नतीजा था कि विपक्ष के पास पर्याप्त संख्या होने के बाद भी कांग्रेस उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा, जबकि एनडीए ने अपने दलों को साधे रखने के साथ-साथ विपक्ष के कई दलों के समर्थन जुटाने में कामयाब रही। एआईएडीएमके, टीआरएस और बीजेडी जैसे दलों ने विपक्ष में होने के बाद भी एनडीए उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग की।
4. आप, वाईएसआर कांग्रेस और पीडीपी को साध नहीं पाए राहुल
आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और पीडीपी ने राज्यसभा उप-सभापति के मतदान से अपने आपको बाहर रखा था. जबकि आम आदमी पार्टी के सासंद संजय सिंह कहते रहे है कि कांग्रेस को समर्थन चाहिए तो राहुल गांधी को हमारी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से बात करें। राहुल बात नहीं कर सके, जिसके चलते आप का समर्थन नहीं मिला। इसी तरह अगर राहुल गांधी पीडीपी औैर वाईएसआर कांग्रेस से भी बात करते तो हो सकता था कि ये दल उन्हें समर्थन दे देते, लेकिन इसकी कोशिश नहीं की गई।
5. एनडीए में नाराज दलों का नहीं उठा पाए फायदा
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में जेडीयू के उम्मीदवार के उतरने से शिवसेना और अकाली दल की नाराजगी खुलकर सामने आई थी. सत्तापक्ष के ये दोनों दल इस पद पर अपना उम्मीदवार चाहते थे। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस नाराजगी का फायदा उठा सकते थे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके. जबकि वहीं पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने समय रहते हुए अपने सहयोगी दलों से बातचीत करके उन्हें साधने में कामयाब रहे हैं।
इतना ही नहीं विपक्ष के कई दलों में सेंध लगाई. इसी का नतीजा है कि एनडीए बहुमत से कम होने की बावजूद जीतने में कामयाब रही, जबकि विपक्ष पर्याप्त संख्या होने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा।
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