राजेश्वर तिवारी, जांजगीर-चाम्पा। बलौदा ब्लाक के दर्जनों स्कूल संचालकों द्वारा स्कॉलरशिप के नाम पर 74 लाख 58 हजार रुपए का बंदरबांट करने वाले 13 स्कूल संचालक, आधा दर्जन नोडल अफसर व प्राचार्य के खिलाफ बलौदा थाने में एफआईआर दर्ज किया गया है। इतना ही नहीं पुलिस ने तत्कालीन सहायक संचालक आदिम जाति कल्याण विभाग के खिलाफ भी जुर्म दर्ज किया है।
विगत 5 फरवरी को तत्कालीन आयुक्त बीके राजपूत ने बलौदा थाने में एफआईआर के लिए कागजात पेश किया था। बलौदा ब्लाक के 13 स्कूलों में छात्रवृत्ति के नाम पर बड़ा खेल किया था। इसकी जांच के लिए कैग की टीम जांच कार्रवाई के लिए जांजगीर आई थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट अजाक अफसर को सौंपी थी। मामले की फाइल बलौदा थाने में सौंप दी थी। 6 महीने जांच के बाद बलौदा पुलिस ने मामले की जांच कर स्कूल संचालकों अफसरों के खिलाफ 420 का मामला दर्ज किया है।
वर्ष 15-16 में बलौदा ब्लाक के द्वारा खिसोरा, उदयपुर, अंगारखार, डोंगरी, पोंच, मिलभांठा सहित 13 स्कूलों में करोड़ों रुपए का स्कॉलरशिप घोटाला हुआ था। घोटाले में सबसे अधिक निजी स्कूल संचालकों का हाथ था। कई ऐसे स्कूलों के नाम से लाखों रुपए का स्कॉलरशिप निकाला गया था जिस नाम से कोई स्कूल संचालित ही नहीं है। कई स्कूलों में दर्ज संख्या से अधिक की राशि का आहरण किया गया था। कई मामले ऐसे थे जिसमें विभागीय कर्मचारी 420 के आरोप में जेल भी गए थे।
इसके बाद भी यह खेल नहीं थमा था। आसपास के ग्रामीणों ने मामले की शिकायत राज्य शासन से की थी। राज्य शासन के महालेखाकार की टीम ने मामले को गंभीरता से लिया था। इसके बाद अक्टूबर-नवंबर माह में ऐसे दागी स्कूलों की जांच की थी। जांच के बाद छात्रवृत्ति के वितरण में गंभीर अनियमितता पाई थी। महालेखाकार रायपुर के ऑडिट दल द्वारा लगाई गई आपत्ति की सत्यता प्रमाणित पाई गई थी। उपरोक्त अशासकीय संस्था प्रमुख एवं संबंधित नोडल अधिकारियों की मिलीभगत से लगभग 74 लाख 58 हजार 783 रुपए की हेराफेरी की गई थी।
उक्त कृत्य के लिए संबंधों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई के लिए एफआईआर दर्ज कराने सहायक आयुक्त के.राजपूत ने 3 फरवरी को बलौदा थाना को लिखित आवेदन दिया था। जांच के बाद एसपी नीतू कमल ने आरोपियों के खिलाफ जुर्म दर्ज करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पुलिस ने तत्कालीन सहायक आयुक्त, स्कूल संचालक, नोडल अधिकारी इतने ही प्राचार्य के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 34 के तहत दर्ज किया है। छात्रवृत्ति घोटाले में तत्कालीन समय में सहायक आयुक्त एचआर चौहान का नाम सामने आ रहा है क्योंकि उस वक्त चौहान ही आयुक्त थे। इसके अलावा आधा दर्जन नोडल अफसर भी संदेह के दायरे में हैं। यदि सही सलामत जांच कर रिपोर्ट सौंपी गई तो आधा दर्जन नोडल अफसर स्कूल संचालक व प्राचार्य जेल जा सकते हैं क्योंकि छात्रवृत्ति में सबसे अहम भूमिका नोडल अधिकारियों की है। सीधे तौर में यह कहा जा सकता है कि उन्होंने स्कूल संचालकों से मिलीभगत कर 758001 छात्रवृत्ति आहरण कर आपस मे बंटवारा कर लिए है।
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